केरल के पतनमतिट्टा के एडमुरी इलाक़े के एक सरकारी स्कूल के हेडमास्टर, शिक्षक और दूसरे कर्मचारी अपने स्कूल परिसर की तीन एकड़ ज़मीन पर आजकल खेती कर रहे हैं.
महामारी के इस दौर में स्कूल के आसपास रहने वाले ग़रीब आदिवासी परिवारों की मदद करने के लिए यह लोग ऐसा कर रहे हैं.
इन खेतों में तरह-तरह की सब्ज़ियां उगाई जाती हैं, और स्कूल के छात्रों के परिवारों को दी जाती हैं. इस स्कूल में पढ़ने वाले ज़्यादातर छात्र आदिवासी हैं.
इनमें से कई परिवारों ने महामारी के दौरान अपनी आजीविका खो दी. इसलिए एडामुरी गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल के हेडमास्टर और शिक्षकों ने क्षेत्र में गरीब परिवारों की मदद करने के लिए खेती करना शुरू किया.
इन शिक्षकों की मदद के लिए गैर-शिक्षण कर्मचारी, छात्रों के माता-पिता और इलाक़े के ग्रामीण लोग भी आगे आए हैं.
इस प्रोजेक्ट को शुरु करने के पीछे की कहानी बताते हुए एक टीचर कहते हैं कि स्कूल लगभग 3 एकड़ में है, जिसमें से एक एकड़ से ज़्यादा बेकार पड़ा था. स्टाफ़ ने पहले इस ज़मीन को साफ़ किया, और हेडमास्टर के कहने पर स्कूल प्रबंधन समिति ने खेती के लिए मंज़ूरी दे दी.
इन शिक्षकों को कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान काफ़ी खाली समय मिला. इस दौरान उन्होंने विभिन्न प्रकार की सब्जियों, कंद और केले की खेती की.
कृषि भवन के अधिकारियों ने खेती के लिए बीज, खाद और तकनीकी सहायता मुफ्त में दी. गाँव में और आसपास रहने वाले शिक्षक पौधों की देखभाल के लिए लॉकडाउन में भी स्कूल आते रहे.
इस तीन एकड़ भूमि पर पालक, बैंगन, भिंडी, मिर्च, फूलगोभी और मटर की खेती की गई. इसके अलावा, हल्दी, केला और टैपिओका के पेड़-पौधे भी हैं.
स्कूल के आदिवासी छात्रों के परिवारों को यह सब्ज़ियां मुफ़्त में दी जा रही हैं.