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जादू-टोने के शक में 65 साल के आदिवासी ओझा की हत्या, ओडिशा के 12 ज़िले बदनाम हैं

ओडिशा के 30 ज़िलों में से कम से कम 12 ज़िलों में इस तरह की घटनाएँ देखी जाती हैं जहां जादू टोने के नाम पर हत्याएं होती हैं. इन ज़िलों में मयूरभंज, क्योंझर, सुंदरगढ़, मलकानगिरी, गजपति और गनजामज़िलों में इस तरह की घटनाएँ बहुत अधिक होती हैं. 

ओडिशा के मलकानगिरी ज़िले में एक 65 साल के आदिवासी ओझा (Tribal Priest) की जादू-टोने (witchcraft) के शक में पीट पीट कर हत्या कर दी गई. मंगलवार को इस ओझा के गाँव के लोगों ने उन्हें इतना पीटा की उनकी मौत हो गई. मलकानगिरी के कालीमेला ब्लॉक के एक गाँव में यह घटना हुई है.

प्रशासनिक अधिकारियों के अनुसार कंगरूकोंड़ा नाम के गाँव के 60 से ज़्यादा लोग मंगलवार को एक व्यक्ति के अंतिम संस्कार के लिए जमा हुए थे. इस दौरान गाँव के ओझा पडिया मडकामी की गतिविधियों के बारे में कुछ लोगों ने चर्चा शुरू कर दी.

इस चर्चा में कुछ लोगों ने संदेह व्यक्त किया कि गाँव में एक के बाद एक मौतों के लिए ओझा ज़िम्मेदार हो सकता है. गाँव के कुछ लोगों को शक था कि ओझा कुछ जादू-टोना कर रहा है. इसके बाद 5 लोगों ने ओझा को लाठियों से पीटना शुरू कर दिया. 

इन लोगों ने ओझा को कहा कि गाँव में हो रही मौतों के पीछे उसी का हाथ है. पडिया मडकामी के बेटे बीरा ने जब अपने पिता को पिटाई से बचाने की कोशिश की तो बीरा की भी पिटाई कर दी गई. 

इस अपराध के सिलसिले में पुलिस ने सभी अभियुक्तों को गिरफ़्तार कर लिया है. पुलिस के अनुसार इन अभियुक्तों के नाम मुकुंद पडियामी, फ़िदा मडकामी, कना मडकामी, उम्रमी मडकामी और गंगा मडकामी हैं.

कालीमेला ब्लॉक और ज़मीनी हालात

ओडिशा के मलकानगिरी ज़िला आदिवासी बहुल क्षेत्र है. इसके अलावा मलकानगिरी देश के 100 सबसे ग़रीब और पिछड़े ज़िलों में भी शामिल हैं. यहाँ का कालीमेला ब्लॉक के घने जंगलों में आदिवासी बसे हैं. इनमें से ज़्यादातर गाँव आदिवासियों के ही हैं.

इन गाँवों में गोंड आदिवासी समुदाय का कोया समूह बड़ी तादाद में रहता है. जिस गाँव में यह घटना हुई है वह भी कोया आदिवासियों का ही गाँव है. कालीमेला तहसील क़रीब 825 वर्ग किलोमीटर में फैली है. इस तहसील में कुल 111 गाँव हैं और यहाँ कि कुल आबादी 76811 (जनगणना,2011) है. 

इस तहसील में कुछ गाँव बांग्लादेश शरणार्थियों के भी हैं. क़रीब 4 साल पहले हमारी टीम को कालीमेला ब्लॉक जाने का मौक़ा भी मिला था. उसके बाद दो महीने पहले फिर से हमारी टीम मलकानगिरी पहुँची थी. इस दौरे में भी हमें कई कोया आदिवासियों के गाँवों में जाने का मौक़ा मिला.

कालीमेला के कोया आदिवासियों की ज़िंदगी पर बने इस वीडियो को देख कर आप बहुत कुछ समझ सकते हैं –

कालीमेला तहसील की बात करें तो एक समय यह इलाक़ा नक्सल प्रभावित था. जब हम कालीमेला क़स्बे से गाँवों की तरफ़ जंगल में बढ़े तो हमने पाया कि यहाँ पर मुख्य सड़क से गाँवों को जोड़ने वाली सड़क कच्ची है. 

गाँव के लोगों ने बताया कि बरसात के समय में इस इलाक़े से निकलना या यहाँ पहुँचना लगभग नामुमकिन हो जाता है. यहाँ के कई गाँवों में हम घूमे और देखा कि यहाँ पर प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं का भी अभाव है. लोग अभी भी जंगली जड़ी बूटियों से ही इलाज करते हैं. 

लेकिन ज़्यादातर लोग बीमारी के इलाज के लिए ओझाओं के पास ही जाते हैं. 

इस इलाक़े में आपको चारों तरफ़ ग़रीबी पसरी हुई मिलेगी. ये आदिवासी अभी भी खेती किसानी में ना तो माहिर हुए हैं और ना ही उनके पास खेती के लिए कोई ख़ास संसाधान हैं. यहाँ पर अभी भी जंगल के बीच बनाए गए छोटे खेतों पर एक ही फ़सल ली जाती है.

खेती पूरी तरह से बारिश के भरोसे ही होती है. यहाँ के आदिवासी अब मज़दूरी के लिए बाहर के शहरों में जाते हैं. इन गाँवों में घूमते हुए हमने पाया कि एक सर्कुलर माइगेरशन यहाँ की ज़िंदगी का बड़ा हिस्सा है. बारिश के बाद यहाँ के लोग मज़दूरी के लिए निकल जाते हैं और फिर दिवाली के आस-पास अपने गाँव लौटते हैं.

12 ज़िलों में हत्या के मामले सबसे अधिक

ओडिशा के 30 ज़िलों में से कम से कम 12 ज़िलों में इस तरह की घटनाएँ देखी जाती हैं जहां जादू टोने के नाम पर हत्याएं होती हैं. इन ज़िलों में मयूरभंज, क्योंझर, सुंदरगढ़, मलकानगिरी, गजपति और गनजामज़िलों में इस तरह की घटनाएँ बहुत अधिक होती हैं. 

पिछले साल दिसंबर में ओडिशा के महिला आयोग ने जादू-टोना के नाम पर होने वाली हत्याओं पर एक रिपोर्ट जारी की थी. इस रिपोर्ट में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के हवाले से बताया गया है कि भारत में हर साल कम से कम जादू टोने के नाम पर 150 हत्याएं होती रही हैं.

2000 से 2016 के बीच के आँकड़े बताते हैं कि इस दौरान कम से कम 2500 लोगों की हत्या जादू-टोने और भूत-प्रेत के नाम पर हुई थीं. यह रिपोर्ट एक और तथ्य बताती है कि जिन लोगों की हत्या की गई उनमें से ज़्यादातर औरतें थीं.

महिला आयोग की रिपोर्ट में बताया गया है कि ओडिशा के 12 ज़िलों जिनका ज़िक्र उपर किया गया है वहाँ पर कुल हत्याओं के 83 प्रतिशत मामले देखे गए थे. यहाँ पर 102 लोगों की हत्याएं जादू टोना और डायन बता कर कर दी गई. 

(इस कहानी में सबसे उपर की तस्वीर सिर्फ़ प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल की कई है. यह तस्वरी गोंड समुदाय के एक धार्मिक गुरू की है जिसे स्थानीय भाषा में गायता कहा जाता है.)

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