केरल के इडुक्की ज़िले से शुक्रवार को एक दर्दनाक घटना सामने आई है. यहां एक 42 वर्षीय आदिवासी महिला की जंगली हाथी के हमले में जान चली गई.
मृतिका की पहचान सीता के रूप में हुई है. सीता अपने पति और बच्चों के साथ मीनमुट्टी के जंगल में वन उपज लेने गई थीं.
घटना मुरिंजापुझा वन क्षेत्र के थोट्टापुरा के पास की है.
सीता अपने परिवार के साथ जैसे ही जंगल में घुसी, अचानक एक जंगली हाथी उसके सामने आ गया. सीता भाग नहीं पाई और हाथी ने उस पर हमला कर दिया.
इस हमले में उनका पति भी घायल हुआ है.
दोनों को तुरंत पास के पीरूमेड तालुक अस्पताल ले जाया गया लेकिन सीता की जान नहीं बचाई जा सकी.
ऐसा ही एक और मामला
इसी दिन सुबह लगभग 10:30 बजे वांडिपेरियार के पास बेथेल कॉफी प्लांटेशन में 63 वर्षीय प्लांटेशन मज़दूर एंथनी स्वामी पर भी जंगली हाथियों ने हमला कर दिया था. वे अपने साथियों के साथ बैठकर आराम कर रहे थे तभी तीन हाथी अचानक आए.
एक हाथी ने उन्हें उठाकर ज़मीन पर पटक दिया. उन्हें पहले नज़दीकी स्वास्थ्य केंद्र फिर कोट्टायम मेडिकल कॉलेज भेजा गया.
पीड़ित परिवार को मिलेगा मुआवज़ा
वन अधिकारी एन. राजेश ने बताया है कि सरकार की ओर से सीता के परिवार को मुआवज़े की पहली किस्त जल्द दी जाएगी. लेकिन सवाल ये है कि क्या एक जान की भरपाई सिर्फ पैसों से हो सकती है?
मुआवज़ा देना सही है लेकिन उससे भी ज़्यादा ज़रूरी है कि सरकार और वन विभाग इन हमलों को रोकने के लिए ज़मीन पर ठोस इंतज़ाम करे क्योंकि आदिवासी इलाकों में ऐसे हादसे बढ़ते ही जा रहे हैं.
स्थानीय लोगों का गुस्सा फूटा
लगातार हो रहे हाथी हमलों से परेशान होकर स्थानीय युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार शाम को पीरूमेड टाउन में राष्ट्रीय राजमार्ग जाम कर दिया.
हालांकि पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर मार्ग खाली करा लिया है.
इस तरह की ये पहली घटना नहीं हैं. आए दिन आदिवासी इलाकों से हाथी या जंगली जानवरों के हमले के कारण घायल होने या मौत होने से संबंधित घटनाएं सामने आती रहती है.
इसके बावजूद सरकार इस मुद्दे को नज़रअंदाज़ करती नज़र आ रही है.
प्रशासन को इस गंभीर समस्या पर ध्यान केंद्रित करते हुए आदिवासी समुदायों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके. क्योंकि आदिवासी समुदाय के लिए जंगल उनके जीवन का हिस्सा है. उनकी रोज़ी-रोटी, परंपरा सब जंगल से जुड़ी है.