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धौगुंवा पंचायत में नहीं मिल रहा आदिवासियों को राशन, मुख्यमंत्री की घोषणा है बेकार

दरअसल कोविड की वजह से आदिवासी इलाक़ों से मज़दूरी के लिए लोग बाहर नहीं जा पा रहे हैं. इन हालात में यह बेहद ज़रूरी है कि कम से कम सरकार उनके भोजन की व्यवस्था करे. ख़बरों के अनुसार पंचायत धौगुवां में संचालित सरकारी राशन की दुकान पर लंबे समय से ताला लटका है. वहां काफी समय से राशन वितरण के लिए कोई नहीं आया है. पंचायत के 4 गांवों के आदिवासी परिवार राशन न मिलने से परेशान है.

मध्य प्रदेश के छतरपुर ज़िले के राजनगर ब्लॉक की कई आदिवासी पंचायतों में राशन की दुकानें बंद हो गई हैं. इसकी वजह से आदिवासियों को सरकार की तरफ़ से फ़्री दिए जाने वाला राशन नहीं मिल रहा है. 

ख़बरों के अनुसार पंचायत धौगुवां में संचालित सरकारी राशन की दुकान पर लंबे समय से ताला लटका है. वहां काफी समय से राशन वितरण के लिए कोई नहीं आया है. इसलिए पंचायत के 4 गांवों के आदिवासी परिवार राशन न मिलने से परेशान है.

कोरोना के बढ़ते संक्रमण के दौरान मुख्यमंत्री ने तीन माह के राशन का एक साथ वितरण करने की घोषणा की है. लेकिन  इस घोषणा को लागू करने की कोई  व्यवस्थाआदिवासी पंचायत धौगुवां में नज़र नहीं आ रही है.

दरअसल धौगुवां की राशन की दुकान में काफी लंबे समय से ताला लटका हुआ है. कई आदिवासी परिवारों को न तो एक दाना राशन का मिला है न एक बूंद कैरोसिन दिया गया है.

धौगुवां पंचायत में चार गांव आते हैं, इनमें ग्राम धौगुवां, सिंगरों, बराई और नारायणपुरा शामिल हैं. ये चारों ग्राम आदिवासी बहुल हैं. ग्राम सिंगरों में दो माह पहले कुछ लोगों को दो माह का राशन बांटा गया, बाकी को भगा दिया गया.

इसका जब विरोध किया तो आधे गांव के लोगों को तीन माह का राशन वितरण करके राशन की दुकान को ताला डालकर बंद कर दिया गया. तभी से दुकान में ताला लटका है.

इसी तरह बराई गांव में किसी को भी राशन नही बांटा गया है। लोग सुबह से काम छोड़कर राशन की उम्मीद लेकर दुकान पर जाते हैं पर दुकान न खुलने से वे निराश लौट जाते हैं।

धौगुवां पंचायत की राशन की दुकान में विक्रेता कौन है गांव के लोग न तो उसका नाम जानते हैं न उसे पहचानते हैं. स्थानीय मीडिया से बात करते हुए बराई गाँव की कली बाई ने बताया कि वह शासन की योजनाओं के लाभ से वंचित है. 

पहले उसको राशन मिलता था लेकिन राशन पर्ची गायब होने के कारण उसे राशन मिलना ही बंद हो गया है. वह अपनी एक बच्ची के साथ किसी तरह गांव वालों के सहारे जीवन गुजार रही है.

इसी तरह कई अन्य ग्रामीणों ने राशन न मिलने से होने वाली परेशानियों की व्यथा सुनाई है. ग्रामीणों ने शीघ्र राशन की दुकान खुलवाकर राशन दिलाने की मांग की है. 

दरअसल कोविड की वजह से आदिवासी इलाक़ों से मज़दूरी के लिए लोग बाहर नहीं जा पा रहे हैं. इन हालात में यह बेहद ज़रूरी है कि कम से कम सरकार उनके भोजन की व्यवस्था करे. 

सरकार ने बेशक 3 महीने के राशन की व्यवस्था करने की घोषणा की है. लेकिन ऐसा लगता है कि इस व्यवस्था की निगरानी नहीं की जा रही है. 

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