आंध्र प्रेदश के विशाखापट्टनम में आंध्र प्रदेश मिनरल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ने उन आदिवासियों की सेवा समाप्त कर दी है जो बॉक्साइट की खानों में ट्रेनिंग ले रहे थे. इस मामले में आंध्र प्रदेश आदिवासी ज्वाइंट एक्शन कमेटी ने एक बयान जारी किया है.
इस बयान में आंध्र प्रदेश मिनरल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के क़दम का विरोध किया गया है.
बयान में कहा गया है कि राज्य सरकार ने इस मामले में आदिवासी लोगों की सेवाएँ समाप्त करने की अनुमति दे दी है. संगठन के संयोजक रामा राव दोरा के अनुसार राज्य ने 11 नवंबर 2020 को ही यह अनुमति दे दी थी.
इसके बाद 1 फ़रवरी को आंध्र प्रदेश मिनरल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के बोर्ड ने इन ट्रेनियों को हटाने का ऐलान कर दिया.
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उन्होंने कहा कि बोर्ड ने 1 फ़रवरी को उन सभी आदिवासी नौजवानों को काम से हटाने का फ़ैसला कर लिया जिन्हें 2014 से काम पर रखा गया था. उन्होंने कहा कि 2014 में 214 आदिवासी नौजवानों को आंध्र प्रदेश मिनरल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ने ट्रेनिंग के लिए रखा था.
उस समय यह भी कहा गया था कि इन नौजवानों को ट्रेनिंग के बाद नौकरी पर रख लिया जाएगा.
लेकिन अब 6 साल बाद इन नौजवानों को काम से हटा दिया गया है. सरकार के इस फ़ैसले को ज्वाइंट एक्शन कमेटी ने आदिवासियों के साथ धोखा क़रार दिया है. कमेटी का कहना है कि सरकार और आंध्र प्रदेश मिनरल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ने अपना वादा तोड़ा है.
देश के अलग-अलग राज्यों में आदिवासियों के साथ इस तरह का धोखा आम बात है. ज़मीन अधिग्रहण के साथ सरकारें और कंपनी अकसर ये वादा करते हैं कि इससे आदिवासियों को रोज़गार मिलेगा.
इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि आदिवासी मुख्यधारा में जुड़ सकेंगे और उनकी आर्थिक तरक़्क़ी होगी. लेकिन अकसर देखा यही जाता है कि एक बार ज़मीन हाथ आने के बाद सरकार अपने वादे तोड़ देती है.
दूसरी तरफ़ आदिवासी ज़मीन हाथ से निकलने के बाद बर्बाद होता जाता है.