HomeAdivasi Daily250 आदिवासी नेताओं को मिली देवचा-पचामी पैकेज की जानकारी

250 आदिवासी नेताओं को मिली देवचा-पचामी पैकेज की जानकारी

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 9 नवंबर को विधानसभा में देवचा-पचामी कोयला खदान परियोजना के लिए पुनर्वास पैकेज की घोषणा की और कहा था कि उनकी सरकार भूमि प्राप्त करने के लिए जबरदस्ती नहीं करेगी. जैसे कि वामपंथी शासन के दौरान सिंगूर में हुआ था.

पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिला प्रशासन ने शुक्रवार को देवचा-पचामी पुनर्वास पैकेज का विवरण 250 से अधिक आदिवासी नेताओं, आदिवासी बस्तियों के प्रमुखों और अन्य हितधारकों को लिखित रूप में सौंप दिया.

साथ ही उन्हें आश्वासन दिया कि राज्य सरकार किसी को भी जमीन के लिए मजबूर नहीं करेगी, बल्कि हर दरवाजे तक पहुंचकर कोयला खदान परियोजना शुरू करने में मदद की अपील करेगी.

बीरभूम के जिला मजिस्ट्रेट बिधान रे, पुलिस प्रमुख नागेंद्र नाथ त्रिपाठी और जिला परिषद प्रमुख बिकाश रॉय चौधरी की अध्यक्षता में वरिष्ठ अधिकारियों ने आधिकारिक तौर पर प्रमुख आदिवासी नेताओं, 18 आदिवासी बस्तियों के प्रमुखों और अन्य के समक्ष पुनर्वास पैकेज के विवरण की घोषणा की.

बैठक में हिस्सा लेने वाले सभी लोगों को पैकेज का विवरण तीन भाषाओं- अंग्रेजी, बंगाली और ओल-चिकी लिपि में लिखित रूप में दिया गया था.

जिला मजिस्ट्रेट बिधान रे ने कहा, “यह पहली बार है जब हमने देवचा-पचामी कोयला खदान परियोजना के हितधारकों के लिए पुनर्वास पैकेज की आधिकारिक प्रति सौंपी है. यह पहला कदम है और चर्चा जारी रहेगी. हमने हितधारकों से अपने-अपने क्षेत्रों में पैकेज पर चर्चा करने और सुझावों के मामले में हमारे पास वापस आने के लिए कहा है.”

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 9 नवंबर को विधानसभा में देवचा-पचामी कोयला खदान परियोजना के लिए पुनर्वास पैकेज की घोषणा की और कहा था कि उनकी सरकार भूमि प्राप्त करने के लिए जबरदस्ती नहीं करेगी. जैसे कि वामपंथी शासन के दौरान सिंगूर में हुआ था.

रे ने कहा, “हमने लोगों को स्पष्ट किया है कि सरकार बलपूर्वक उनकी जमीन का अधिग्रहण नहीं करने जा रही है बल्कि उनकी जमीन को उचित सहमति से लेगी और उन्हें इसके लिए सबसे अच्छा रिटर्न देगी. हम एक गांव से दूसरे गांव जाएंगे और हमारे अधिकारी काम शुरू करने से पहले लोगों की शंकाओं को दूर करने के लिए हर दरवाजे पर पहुंचेंगे.”

राज्य सरकार ने घोषणा की है कि कोयला खदान के लिए पहले चरण का काम सरकारी स्वामित्व वाली जमीन पर शुरू होगा और बाकी को स्थानीय निवासियों से चरणबद्ध तरीके से खरीदा जाएगा.

पश्चिम बंगाल पावर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड, राज्य द्वारा संचालित बिजली उत्पादन उपयोगिता जो कोयला खदान परियोजना को लागू करेगी. कार्यालय सोमवार से लोगों के सवालों और शंकाओं को दूर करने के लिए एक शिविर खोलेगी.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “कैंप कार्यालय सूरी के डब्ल्यूबीपीडीसीएल गेस्ट हाउस से शुरू किया जाएगा. बाद में हम (परियोजना से प्रभावित होने वाले) गांवों के पास एक और कार्यालय खोलेंगे.”

सूत्रों ने कहा कि सरकार आदिवासी लोगों की प्रतिक्रिया का बेसब्री से इंतजार कर रही है.

भारत जकात मांझी परगना महल के जिला अध्यक्ष घासीराम हेम्ब्रम ने कहा, “आज (शुक्रवार) की बैठक में हमने सिर्फ उनकी (अधिकारियों) बात सुनी. हमें इस (पैकेज) पर आपस में चर्चा करने की जरूरत है. हम अपने प्रस्तावों के साथ बाद में आएंगे.”

बैठक में बीरभूम आदिवासी गांव के आदिवासी नेता राबिन सोरेन और सुनील सोरेन भी मौजूद थे.

आदिवासी नेता सुनील सोरेन ने कहा, “आज (शुक्रवार) सवाल पूछने के लिए नहीं था क्योंकि यह पहली बार था जब हमें पुनर्वास पैकेज की प्रतियां मिलीं. सरकारी अधिकारियों ने हमें आश्वासन दिया कि वे हमारे सुझावों को भी सुनेंगे.”

(Image Credit: The Telegraph Online)

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