प्राथमिक स्तर के सरकारी स्कूलों में जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ाई शुरू करने के लिए जून में ही स्कूली शिक्षा विभाग 33 हज़ार शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरु कर सकता है.
झारखंड के मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने मार्च महीने में रांची में स्कूल शिक्षा और साक्षरता विकास विभाग (School Education and Literacy Development Department) के अधिकारियों और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग के कैबिनेट मंत्री (Cabinet Minister for SC/ST and Backward Class) दीपक बिरुवा के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की थी.
जिसमें उन्होंने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं के शिक्षण में तेज़ी लाने के लिए आवश्यक्तानुसार शिक्षकों की भर्ती करने का निर्देश दिया था.
बिहार से अलग होने के बाद यह पहला ऐसा मौका था जब झारखंड के प्राथमिक विद्यालयों में आदिवासी भाषाओं में कक्षाएं प्रदान करने से संबंधित कोई उच्च स्तरीय बातचीत के बाद यह निर्देश दिए गए थे.
जिसके बाद स्कूल शिक्षा विभाग ने यह जानने के लिए एक सर्वे शुरु किया था कि किस भाषा के कितने शिक्षकों की ज़रूरत पड़ेगी. अब यह सर्वे अंतिम चरण में है.
सहायक आचार्यों के 26001 पदों के लिए इसी माह यानि जून में ही परीक्षा हो सकती है. सहायक आचार्य के पद के लिए हिंदी विषय के लिए परीक्षा आयोजित की जा चुकी है.
पारा शिक्षकों के लिए ये परीक्षा 27 से 29 अप्रैल के बीच आयोजित की गई थी और गैर पारा शिक्षक अभियार्थियों ने ये परीक्षा 2-3 मई को दी थी.
लेकिन बाकी विषयों की परीक्षा लोकसभा चुनाव के कारण स्थगित कर दी गई थी. झारखंड़ कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) द्वारा जल्द ही इस परीक्षा की संशोधित तिथि जारी करने की उम्मीद है.
फिलहाल क्षेत्रीय भाषाओं में सिर्फ़ ओड़िया और बंगाली ही चुनिंदा स्कूलों में पढ़ाई जाती है.
इन भर्तियों के बाद स्कूलों में संथाली, कुडुख, खड़िया, खोरठा, नागपुरी और मुंडारी जैसी अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ाई शुरू की जाएगी.
इन शिक्षकों को 200 रुपये प्रति घंटा के हिसाब से भुगतान किया जाएगा.