केंद्र ने National Education Policy (NEP) 2020 में परिकल्पित भारतीय भाषाओं के प्रचार और विकास के लिए रास्ते तलाशने और सिफारिश करने के लिए एक हाई-लेवल समिति का गठन किया है.
शिक्षा मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर साझा किया कि शिक्षाविद् और आरएसएस से जुड़े एनजीओ संस्कृत भारती के संस्थापक सदस्य चामू कृष्ण शास्त्री समिति के अध्यक्ष होंगे. इसमें तीन और सदस्य होंगे.
समिति स्कूलों और उच्च शिक्षा संस्थानों दोनों में भारतीय भाषाओं के अध्ययन में सुधार के तरीके सुझाएगी.
मंत्रायल ने आगे कहा है कि पैनल को मौजूदा संस्थागत ढांचे का अध्ययन करने का भी ज़िम्मा दिया गया है. इसके अलावा समिति भारतीय भाषाओं के विकास के लिए शैक्षणिक संस्थानों में फ़िलहाल मौजूद सुविधाओं की स्टडी कर उसे बेहतर करने के उपाय सुझाएगा.
इसमें अनुसूचित, लुप्तप्राय, गैर-अनुसूचित, लघु, आदिवासी, शास्त्रीय भाषाओं समेत दूसरी सभी भाषाओं की सभी श्रेणियां शामिल होंगी. पैनल पर ज़िम्मेदारी होगी कि छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए अलग-अलग भाषाओं की स्टडी के लिए ज़रूरी सभी सुविधाओं की सिफारिश करे. इसके अलावा उन भाषाओं को पढ़ने वाले छात्रों की रोजगार क्षमता में सुधार के तरीकों पर भी बात होगी.
समिति शिक्षा मंत्रालय की छात्र केंद्रित पहलों जैसे इनोवेशन सेल और भारतीय ज्ञान प्रणाली के साथ भी करीब से कोऑर्डिनेट करेगी.
NEP 2020 भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने की वकालत करता है और सिफारिश करता है कि शास्त्रीय, जनजातीय और ऐसी भाषाएं जिनका अस्तित्व ही ख़तरे में है, उनको संरक्षित करने और बढ़ावा देने के लिए प्रयास किए जाने चाहिएं.
इस महीने की शुरुआत में, केंद्र ने देश की सभी यूनिवर्सिटीज़ से कहा था कि वे भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने पर सरकार के आजादी का अमृत महोत्सव समारोह के हिस्से के रूप में अपने स्टडी मैटिरियल और साहित्य का सभी भारतीय भाषाओं में अनुवाद करें.
यूनिवर्सिटीज़ को 20 नवंबर की समयसीमा के साथ योजना तैयार करने के लिए कहा गया है.