छत्तीसगढ़ के आदिवासियों तक पौष्टिक भोजन पहुंचाने के लिए राज्य सरकार, और केंद्र सरकार ने वर्ल्ड बैंक के साथ 100 मिलियन डॉलर का समझौता किया है.
छत्तीसगढ़ इंक्लूसिव ऐंड एक्सिलरेटिड एग्रीकल्चर ग्रोथ (Chhattisgarh Inclusive Rural and Accelerated Agriculture Growth – CHIRAAG) परियोजना को राज्य के दक्षिण के आदिवासी बहुल क्षेत्र में लागू किया जाएगा. यहां की बड़ी आबादी कुपोषित और ग़रीब है.
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उम्मीद है कि इस परियोजना से छत्तीसगढ़ के आठ ज़िलों के लगभग 1000 गांवों के क़रीब दो लाख (1,80,000) परिवारों को फ़ायदा होगा.
अधिकारियों का मानना है कि CHIRAAG से विविध और पौष्टिक भोजन, और कृषि प्रणाली को बढ़ावा मिलेगा. इससे छोटे किसानों को अपने उत्पाद बाज़ारों तक पहुंचाने में मदद भी मिलेगी, जिससे उनकी आय बढ़ेगी.
छत्तीसगढ़ सरकार को उम्मीद है कि आदिवासी बहुल क्षेत्र इस योजना के तहत प्राकृतिक संसाधनों का फ़ायदा उठा सकेंगे. साथ ही यह आदिवासी अपने परिवार की पोषण संबंधित ज़रूरतों को भी पूरा कर सकेंगे.
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भारत में वर्ल्ड बैंक के निदेशक जुनैद कमाल ख़ान ने कहा है कि यह परियोजना राज्य सरकार द्वारा आदिवासी समुदायों के लिए एक समावेशी विकास मार्ग के निर्माण के लिए चल रहे प्रयासों का हिस्सा है.
इसमें आदिवासी महिलाओं के सशक्तिकरण पर विशेष ज़ोर दिया गया है. इसका मक़सद फ़सल प्रणालियों में विविधता लाना, पोषण बढ़ाना, और सिंचाई और कटाई पर ध्यान देना है. इससे आदिवासी समुदायों के बीच खेती को बढ़ावा मिलेगा, और उनकी आय भी बढ़ेगी.
उम्मीद है कि CHIRAAG से राज्य की खाद्य आपूर्ति में भी मदद मिलेगी, और महामारी की वजह से घर लौटे लोगों के लिए आय के अवसरों का विस्तार होगा.
देश के उत्तर-पूर्व के राज्यों को छोड़ दिया जाए तो छत्तीसगढ़ में किसी एक राज्य में आदिवासियों की आबादी सबसे ज़्यादा है.
भारत की लगभग 10 प्रतिशत अदिवासी आबादी छत्तीगढ़ में ही रहती है. राज्य की कुल आबादी का 30.62 प्रतिशत आदिवासी हैं.
इसमें भी ज़्यादातर बस्तर और दक्षिण छत्तीसगढ़ के दूसरे ज़िलों में रहते हैं. 2001 से 2011 के बीच आदिवासियों की जनसंख्या में वृद्धि 18.23 प्रतिशत की दर से हुई थी.