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छत्तीसगढ़: ईसाई महिला का शव दफनाने पर बस्तर में तनाव, पुलिस के सामने पत्थरबाजी

सोमवार को पुलिस की मौजूदगी में परिवार की इच्छा के अनुसार महिला का अंतिम संस्कार किया गया. शव को दफनाने के दौरान आसपास सैकड़ों लोगों की भीड़ जमा हो गई और आक्रामक हो गई लेकिन पुलिस ने उन्हें रोकने में कामयाबी हासिल की.

छ्त्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बस्तर (Bastar) में ईसाई महिला की मौत के बाद उसके शव दफनाने को लेकर तनाव पैदा हो गया है. गांव में शव दफनाने लेकर जा रहे घरवालों को ग्रामीणों ने रोक दिया. वहीं शव दफनाने से रोके जाने के बाद दोनों पक्षों के बीच जमकर विवाद हुआ है और पुलिस की मौजूदगी में पत्थरबाजी की गई. पथराव में कई पुलिसकर्मी घायल हो गए और स्थिति को नियंत्रित करने में 24 घंटे लग गए.

आखिरकार सोमवार को पुलिस सुरक्षा में महिला का अंतिम संस्कार कर दिया गया.

यह घटना रायपुर से 300 किलोमीटर दूर परपा क्षेत्र के भेजरीपदर गांव में हुई, जहां 19 मार्च को माते बेक्को नाम की एक बुजुर्ग महिला की मौत हो गई थी. जब उसके परिवार वाले उसे दफनाने के लिए ले जाने लगे तो अन्य ग्रामीणों ने इसका विरोध किया और मांग की कि उसका अंतिम संस्कार किया जाए.

जहां एक तरफ आदिवासी समुदाय के लोगों का कहना था कि वे शव का दाह संस्कार करना चाहते हैं, आदिवासी रीति-रिवाज के अनुसार. जबकि धर्मांतरित परिवार के लोगों का कहना है कि धर्म परिवर्तन होने चलते वे अपने रीति-रिवाजों से शव को दफनाएंगे.

इसके बाद शव के अंतिम संस्कार को लेकर आदिवासी समुदाय और धर्मांतरित के लोग आपस में भिड़ गए. ऐसे में मृतक महिला के परिवार वालों ने घर के पीछे निजी जमीन में शव को दफनाने का फैसला किया. लेकिन ग्रामीणों का एक समूह वहां पहुंच गया और विरोध करने लगा. उनका कहना था कि भले ही  आदिवासी परिवार ईसाई धर्म में परिवर्तित हो गया हो लेकिन उसे दफनाया नहीं जाना चाहिए.

इससे गांव में दो गुटों में तनाव हो गया और प्रशासन को हस्तक्षेप करना पड़ा. जब पुलिस पहुंची तो दफनाने का विरोध कर रहे समूह ने उन पर पथराव किय जिससे कुछ पुलिसकर्मी घायल हो गए. प्रदर्शनकारियों ने धर्म परिवर्तन के खिलाफ नारेबाजी की और शव को दफनाने की अनुमति नहीं देने पर अड़े रहे.

इधर परिजनों ने विरोध शांत होने का इंतजार करने के लिए शव पुलिस को सौंप दिया.

एडिशनल एसपी निवेदिता पॉल ने कहा कि स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस टीम को मौके पर तैनात किया गया है. जिला कलेक्टर चंदन कुमार और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी गांव पहुंचे.

सोमवार को पुलिस की मौजूदगी में परिवार की इच्छा के अनुसार महिला का अंतिम संस्कार किया गया. शव को दफनाने के दौरान आसपास सैकड़ों लोगों की भीड़ जमा हो गई और आक्रामक हो गई लेकिन पुलिस ने उन्हें रोकने में कामयाबी हासिल की.

तनाव अब भी बना हुआ है और पुलिस गांवों में घूम रही है और लोगों से कह रही है कि धर्मांतरण के बारे में अफवाहों पर ध्यान न दें. गांव में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है.

पिछले साल सितंबर से बस्तर, नारायणपुर और कोंडागांव के आदिवासी क्षेत्रों में धर्मांतरण को लेकर तनाव पैदा हो गया है. जिसके कारण अक्सर झड़पें होती रहती हैं. कुछ महीने पहले आदिवासी ईसाइयों के एक समूह को अपने जीवन और संपत्ति के डर से नारायणपुर के एक स्टेडियम में शरण लेनी पड़ी थी.

इस साल जनवरी में एक भीड़ ने एक चर्च में तोड़फोड़ की और नारायणपुर के एसपी सदानंद कुमार पर हमला किया, जिसमें उन्हें चोटें आई थी.

इस साल के आखिर में राज्य में विधानसभा के चुनाव होने है… ऐसे में आदिवासी क्षेत्रों में हिंसा की बढ़ती घटनाओं का सामना करते हुए कांग्रेस सरकार ने जिला कलेक्टरों को सांप्रदायिक सद्भाव को बाधित करने की कोशिश करने वालों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) लागू करने का अधिकार देने का फैसला किया है.

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