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छत्तीसगढ़: बिरहोर जनजाति के लिए काम करने वाले जागेश्वर यादव को पद्म श्री मिला

छत्तीसगढ़ के जागेशवर यादव को सरगुजा संभाग में पीवीटीजी समुदयों यानि विशेष रूप से पिछड़ी जनजातियों के लिए काम करने के लिए सम्मानित किया गया है.

इस साल यानि 2024 में पद्म पुरस्कार 132 लोगों को मिलेगा. इन 132 में 5 लोगों को पद्म विभूषण (Padma Vibhushan), 17 लोगों को भूषण (Padma Bhushan) और 112 लोगों को पद्म श्री (Padma Shri) पुरस्कार मिलेगा.

जनजाति बहुल राज्य छत्तीसगढ़ से इस साल पद्म श्री पुस्कार की सूची में 3 लोगों का नाम शामिल है.

इन 3 लोगों में जागेश्वर यादव (Jageshwar Yadav), हेमचंद माझी (Hemchand Manjhi) और पंडित रामलाल बरेठ (Pandit Ramlal Bareth) का नाम शामिल है.

इन हस्तियों को भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार यानी पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा.

राज्य के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय (Vishnu Deo Sai) ने कल यानी गणतंत्र दिवस के दिन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर राज्य के तीनों पद्म पुरस्कार विजेताओं को शुभकामनाएं देते हुए और प्रसन्नता से लिखा कि प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए सभी चयनित पुरस्कार विजेताओं को बधाई.

उन्होंनें लिखा की छत्तीसगढ़ के लिए यह गर्व की बात है कि पद्म श्री पुरस्कार के लिए जशपुर के सामाजिक कार्यकर्ता जागेश्वर यादव का चयन किया गया है.

जागेश्वर यादव ने सरगुजा क्षेत्र के पहाड़ी कोरवा जो एक संरक्षित आदिवासी समूह (Pahadi Korva- A protected tribal group) है उन लोगों की सेवा करने का संकल्प लिया इसके साथ नारायणपुर के वैद्यराज हेमचंद मांझी ने भी अपना जीवन सेवा में समर्पित कर दिया.

मुख्यमंत्री ने एक्स पर ट्वीट करके पंडित रामलाल बारेठ को भी शुभकामनाएं दी और लिखा कि कथक के प्रख्यात कलाकार एवं अकादमी पुरस्कार विजेता पंडित रामलाल बारेठ को पद्म श्री पुरस्कार के लिए चुने जाने की सूचना पाकर उन्हें अत्यंत प्रसन्नता हो रही है. मुख्यमंत्री ने कहा आपके पुरस्कार पर पूरे छत्तीसगढ़ को गर्व है.

विष्षु देव साय ने जागेश्वर यादव को भी फोन करके उन्हें इन असाधारण उपलब्धियों के लिए बधाई दी और अनुरोध किया कि वे पहाड़ी कोरवा जनजातियों के उत्थान के लिए अपना काम जारी रखे.

जागेश्वर यादव

इस साल पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित होने के लिए चुने जाने वाले जागेशवर यादव जशपुर ज़िले के भितरघरा गांव के रहने वाले है.

वह दशकों से पहाड़ी कोरवा और बिरहोर जनजातियों के उत्थान के लिए अथक प्रयास करते रहे है.

इसलिए उन्हें प्यार से बिरहोरों का भाई भी कहा जाता है.

जागेशवर यादव ने मुख्य रूप से सरगुजा क्षेत्र में रहने वाले बिरहोर और पहाड़ी कोरवा जनजातियों के बीच निरक्षरता (illiteracy) को खत्म करने के साथ ही स्वास्थ्य सेवा को अच्छा करने के उद्देश्य से जशपुर में एक आश्रम की स्थापना भी की है.

इसके साथ ही उन्होंने इस जनजाति के बीच कोरोना महामारी के दौरान वैक्सीन के बारे में झिझक को दूर करके टीकाकरण अभियान में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
उन्होंने छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग के सुदूर क्षेत्रों में बाल मृत्यु दर को कम करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

बिरहोर जनजाति

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके अर्जुन सिंह के कार्यकाल के दौरान बिरहोर जनजाति को घने जंगलों से निकालकर सरकार ने बस्तियों मे बसाया था.

जिसके बाद सरकार ने इस जनजाति के जीवन यापन के लिए इन्हें जमीन भी उपलब्ध कराया लेकिन घने जंगल के जीवन के आदि हो चुके बिरहोर, ग्रामीण परिवेश मे खुद को नहीं ढाल सके और लगातार विकास में पिछड़ते चले गए.

बिरहोर समुदाय की जनसंख्या में लगातार गिरावट दर्ज होती रही है. जागेश्वर यादव ने इस दिशा में भी काम करने का प्रयास किया है.

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