मणिपुर के कंगपोकपी जिले में शुक्रवार को एक रैली के दौरान हिंसा हो गई जिसमें कम से कम पांच प्रदर्शनकारी और कुछ सुरक्षा बल घायल हो गए. जानकारी के मुताबिक, पुलिस ने आंसूगैस के गोले छोड़े जिसमें दो लोग घायल हो गए. दोनों घायलों को कंगपोकपी के जिला अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद आगे के इलाज के लिए इंफाल रेफर कर दिया गया.
जिले में उस समय हिंसक झड़पें हुईं जब पुलिस ने उन स्थानीय लोगों को रोकने की कोशिश की जिन्होंने आरक्षित वनों और वन्यजीव अभ्यारण्यों द्वारा आदिवासियों की भूमि पर अतिक्रमण का आरोप लगाते हुए एक विरोध रैली का आयोजन किया था.
पुलिस ने कहा कि इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) सहित विभिन्न निकायों द्वारा बुलाई गई विरोध रैली के लिए शुक्रवार को कांगपोकपी शहर में थॉमस ग्राउंड के पास बड़ी संख्या में लोग निषेधात्मक आदेशों की अवहेलना करते हुए इकट्ठे हुए थे.
लेकिन जब पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने की कोशिश की तो विवाद शुरू हो गया, जिसके बाद हिंसक झड़पें हुईं. अधिकारियों ने बताया कि आंसूगैस के गोले दागे जाने से कम से कम पांच प्रदर्शनकारी घायल हो गए जबकि कुछ पुलिस कर्मियों को भी पत्थर लगने से चोटें आईं. उन्होंने बताया कि बाद में स्थिति पर काबू पा लिया गया.
मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि प्रदर्शनकारी संवैधानिक प्रावधानों को चुनौती दे रहे हैं. उन्होंने कहा, “वे संवैधानिक प्रावधानों को चुनौती दे रहे थे. वहां के लोग अफीम की खेती और नशीली दवाओं के कारोबार के लिए आरक्षित वनों, संरक्षित वनों और वन्यजीव अभ्यारण्यों का अतिक्रमण कर रहे थे. यही कारण है कि रैली का आयोजन किया गया था.”
प्रदर्शनकारियों ने बाद में कांगपोकपी के उपायुक्त केंगू ज़ुरिंगला के माध्यम से राज्यपाल अनुसुइया उइके को एक ज्ञापन सौंपा.
मणिपुर पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 144 के तहत पूरे कंगपोकपी जिला मुख्यालय और उसके आसपास के क्षेत्र में 9 मार्च से अगले आदेश तक के लिए प्रतिबंध लगा दिया है.
इस बीच, माराम यूनियन, माओ यूनियन और रोंगमेई नागा काउंसिल मणिपुर सहित नागा समुदाय के कई संगठनों ने कहा कि ITLF एक नवगठित निकाय है और यह राज्य के स्वदेशी लोगों का प्रतिनिधित्व नहीं करता है.
क्या है मामला?
दरअसल, कुकी इंपी मणिपुर की देखरेख में कुकी सीएसओ ने आदिवासी जमीन अधिकारों और नीतियों के प्रति राज्य सरकार के अन्याय के खिलाफ रैली का आयोजन किया था. मणिपुर के अन्य दूसरे पहाड़ी जिलों में भी इसी तरह की रैली निकाली गई, हालांकि इन जगहों पर किसी तरह की अप्रिय घटना की खबर नहीं है.
प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने पहाड़ी जिलों में कुछ जमीन को गलत तरीके से आरक्षित वन क्षेत्र या आर्द्रभूमि घोषित कर दिया है. यह रैली प्रभावित परिवारों के उचित पुनर्वास या फिर पुनर्वास के बिना कथित बलपूर्वक बेदखली और विध्वंस के खिलाफ भी थी.
(Image Source: @KapthangHaokip)