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आदिवासी महिलाओं के लिए बना इकलौता प्रसव केंद्र हुआ बंद, गुजरात सरकार ने समय से नहीं किया एमओयू रीन्यू

गुजरात के छोटा उदेपुर क्षेत्र की लगभग 100 गर्भवती आदिवासी महिलाओं को अब निजी अस्पतालों के दरवाज़े खटखटाने पड़ेंगे. साथ ही उनके परिवारों को भारी मेडिकल बिलों का भुगतान करना होगा, क्योंकि गुजरात का इकलौता व्यापक आपातकालीन प्रसूति और नवजात देखभाल केंद्र (Comprehensive Emergency Obstetric and Neonatal Care, CEmONC) जो पीपीपी मॉडल पर शुरू किया गया था, बुधवार को बंद हो गया.

CEmONC को 2005-06 में आदिवासी बहुल छोटा उदेपुर जिले के बोदेली तालुका के जबुगम गांव में शुरू किया गया था. लेकिन गुजरात स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग ने वडोदरा की दीपक फ़ाउंडेशन के साथ एमओयू (MoU) रिन्यू नहीं किया है.

ऐसे में बुधवार को, जो पिछले वित्तीय वर्ष का आखिरी दिन था, सेंटर के सभी चिकित्सा और पैरामेडिकल स्टाफ़ की नौकरियां रद्द कर दी गईं.

सेंटर के अधिकारियों का कहना है कि सरकार से कोई ख़बर न मिलने के बाद इसे बंद कर दिया गया. सेंटर में पिछले 15 सालों से कई स्त्रीरोग विशेषज्ञ, एनेस्थेटिस्ट, बाल रोग विशेषज्ञ, चिकित्सा अधिकारी, नर्स, स्वीपर, माली, लैब तकनीशियन, डेटा ऑपरेटर और सुरक्षाकर्मी काम कर रहे थे.

CEmONC बनने से पहले इस क्षेत्र में शिशु मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर काफ़ी ज़्यादा थी. ज़्यादातर प्रसव घर पर ही होते थे, जिससे जच्चा बच्चा दोनों को ही ख़तरा रहता था.

शुरू होने के बाद यह सेंटर राष्ट्रीय स्तर पर ही एक मॉडल के तौर पर देखा जाने लगा था. यह सेंटर लगभग 12 लाख की आबादी को सेवाएं प्रदान कर रहा था. यहां 4,000 से ज़्यादा ओपीडी रोगी थे, और क़रीब 300 प्रसव नि:शुल्क किए गए हैं.

सेंटर के अधिकारियों का कहना है कि उनके अलावा ज़िला कलेक्टर ने भी राज्य के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के मुख्य सचिव को चिट्ठी लिखकर MoU को रिन्यू करने की अपील की थी.

छोटा उदेपुर एक ट्राइबल ज़िला है, और यह रथवा आदिवासी समुदाय का घर है. रथवा समुदाय को गुजरात के अलावा कर्नाटक और महाराष्ट्र में अनुसूचित जनजाति का दर्जा हासिल है.

2011 की जनगणना के हिसाब से रथवा आदिवासियों की साक्षरता दर बेहद कम है. कुल साक्षरता दर 44.7 प्रतिशत है, जिसमें पुरुषों की साक्षरता दर 52.7 प्रतिशत है, और महिलाओं की 35.4 प्रतिशत

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