केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में पेरिंगम्माला ग्राम पंचायत ने पोट्टोमावु के आदिवासियों के लिए एक कल्चरल होम और सामुदायिक स्टडी सेंटर बनाया है. सेंटर का उद्देश्य आदिवासी छात्रों की पढ़ाई में मदद करना है, और आदिवासियों की कला और संस्कृति को संरक्षित करना है. गांव में 80 परिवारों के क़रीब 40 छात्र हैं.
पंचायत अधिकारियों ने कहा है कि जंगली जानवरों के लगातार हमले, कमज़ोर नेटवर्क कनेक्टिविटी और अपने घरों में सुविधाओं की कमी की वजह से न छात्रों की ऑनलाइन कक्षाओं तक पहुंच नहीं है.
सेंटर ऐसी जगह पर बनाया गया है कि आसपास से सभी छात्रों के लिए यहां पहुंचना आसान होगा. बिल्डिंग की पहली मंजिल पर आदिवासी छात्रों के लिए ट्यूशन क्लास चलाई जाएगी, जबकि दूसरी मंजिल का इस्तेमाल दूसरी गतिविधियों (extracurricular activities) को बढ़ावा देने के लिए किया जाएगा. राज्य के आदिवासी विभाग ने गांव से ही एक शिक्षक का चयन किया है. सेंटर पर उपलब्ध सुनिधाओं में डिजिटल क्लासरूम, बेंच और डेस्क शामिल हैं.
कल्चरल सेंटर पर ख़ासतौर पर आदिवासियों के पारंपरिक कला रूपों, जैसे ‘कलाट्टकली’, को बढ़ावा दिया जाएगा.
वेंगोला वॉर्ड के सदस्य एमजी जयसिंह ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया को बताया, “इस इलाक़े के बच्चे पढ़ाई में कमजोर हैं. अधिकांश छात्र आमतौर पर जल्दी स्कूल छोड़ देते हैं और जंगलों से शहद, लौंग और दालचीनी इकट्ठा करने जैसे पारंपरिक काम में लग जाते हैं. इस सेंटर का इस्तेमाल छोटे कार्यों, कक्षाओं और स्वास्थ्य जांच के लिए भी किया जा सकता है.”
इस गांव की आदिवासी आबादी आर्थिक रूप से काफ़ी पिछड़ी है, और उनके घर बहुत छोटे-छोटे हैं. ऐसे में कई छात्रों के लिए पढ़ाई करना बेहद मुश्किल हो जाता है. यही वजह है कि कई बच्चे अपनी पढ़ाई अधूरी छोड़ देते हैं.
उम्मीद की जा रही है कि इस पहल से बच्चों को पढ़ाई करने के लिए एक बेहतर वातावरण मिलेगा, और चूंकि वो अपना पढ़ाई का सामान, जैसे कॉपी और किताबें, सेंटर पर ही रख सकते हैं, तो घरवालों को भी सुविधा होगी.