तमिलनाडु के 10 ज़िलों में अनुसूचित जनजाति (एसटी) के छात्रों को जल्द ही स्कूल के बाहर ख़ास शिक्षा में मदद मिलेगी. सरकार ने आदिवासी इलाक़ों में इवनिंग केयर सेंटर (ईसीसी) स्थपित कर काम शुरु कर दिया है.
इन सेंटरों में रोज़ शाम को स्कूलों में पढ़ाए जाने वाले पाठों को रिवाइस करने के अलावा, बच्चों को टैबलेट कंप्यूटर के माध्यम से डिजिटल दुनिया के क़रीब ले जाया जाएगा.
समग्र शिक्षा, जो स्कूली शिक्षा के लिए केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित एकीकृत योजना है, के तहत कोयंबत्तूर, वेल्लोर, तिरुवन्नामलई, सेलम, नमक्कल, धर्मपुरी, विल्लुपुरम, ईरोड, नीलगिरी और कृष्णगिरी के सरकारी स्कूलों में कक्षा 6 से 12 में पढ़ने वाले कुल 28,215 आदिवासी छात्र हैं.
प्लान के तहत इन सभी बच्चों को रोज़ाना स्कूल के बाद शैक्षिक स्वयंसेवकों (Education Volunteers) द्वारा उनकी बस्तियों में दो घंटे की विशेष ट्यूशन दी जाएगी.
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उम्मीद है कि यह Education Volunteers छात्रों को स्कूलों में पढ़ाए जाने वाले पाठों को संशोधित करने में मदद करेंगे, और उनके समग्र विकास में भूमिका निभाएंगे. डिजिटल दुनिया तक पहुंच बढ़ाने के लिए चार छात्रों के एक समूह को टैबलेट कंप्यूटर दिए जाएंगे.
छात्रों को पौष्टिक खाना, फ़िज़िकल एजुकेशन और योग भी सिखाया जाएगा.
शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने एक अखबार को बताया कि हालांकि स्कूल छात्रों के सफ़ल विकास को सुनिश्चित करने में ज़रूरी योगदान देते हैं, लेकिन घर पर माहौल और जिस इलाक़े में छात्र रहते हैं, वह भी उनके प्रदर्शन को निर्धारित करने में एक प्रमुख भूमिका निभाता है.
अधिकारी ने यह भी कहा कि पहाड़ी इलाक़ों के छात्रों के पास टेक्नोलॉजी तक पहुंच की कमी है, और काम के लिए माता-पिता का प्रवास और दूसरे कई कारक उनके लिए चुनौतियां पैदा करते हैं.
इस योजना का उद्देश्य आदिवासी छात्रों के स्कूली शिक्षा से ट्राज़िशन रेट को बेहतर कर उनके उच्च शिक्षा की संभावनाओं में सुधार करना है. इससे भविष्य में उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा.
परियोजना के लिए 18.31 करोड़ रुपए के फ़ंड का प्रस्ताव है और इसे इसी महीने यानि जुलाई 2021 से फ़रवरी 2022 तक संचालित किया जाना है.
पहाड़ी इलाक़ों में ज़रूरतमंद छात्रों और Education Volunteers की पहचान करने की प्रक्रिया पर काम शुरु हो चुका है. इन वॉलंटियर्स को इस काम के लिए हर महीने 6000 रुपए दिए जाएंगे.
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तमिनलाडु के आदिवासी
तमिलनाडु में कुल 36 आदिवासी समुदाय रहते हैं. 2011 की जनगणना के मुताबिक़ राज्य की आदिवासी आबादी 7.21 लाख है, जो तमिलनाडु की कुल आबादी का 1.1 प्रतिशत हिस्सा हैं.
राज्य में 6 आदिम जनजातियां यानि पीवीटीजी भी रहते हैं. इनमें टोडा, कोटा, कुरुम्बा, इरुला, पनिया और काट्टुनायकन आदिवासी शामिल हैं. यह सभी निलगिरी की पहाड़ियों में रहते हैं.
तमिलनाडु के आदिवासियों की शिक्षा दर 27.9 प्रतिशत है. और ज़्यादातर आदिवासी या तो छोटे किसान हैं, या खेत मज़दूरी करते हैं, या फिर आजीविका के लिए जंगल पर निर्भर करते हैं.