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हिरासत में दो आदिवासी युवकों की ‘हत्या’ के आरोप में 4 पुलिस वालों पर मामला दर्ज होने के एक महीने बाद भी कोई गिरफ्तारी नहीं

चार आरोपी पुलिसकर्मी है- इंस्पेक्टर अजीत सिंह जाला, सब-इंस्पेक्टर एमबी कोकनी, हेड कांस्टेबल शांति सिंह जाला और कांस्टेबल रामजी यादव प्राथमिकी दर्ज होने के लगभग एक महीने बाद भी फरार हैं.

नवसारी के चिखली थाने के चार पुलिसकर्मियों पर हिरासत में लिए जाने के बाद दो आदिवासी युवकों की कथित हत्या के आरोप में करीब एक महीने बाद भी कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है. वहीं विधायक छोटू वसावा ने रविवार को सरकार पर आदिवासियों पर अत्याचार करने वालों को बचाने का आरोप लगाया.

नवसारी पुलिस के मुताबिक आरोपी पुलिसकर्मी फरार हैं. उनका कहना है कि पुलिस होने के नाते वे आम लोगों की तुलना में अधिक सतर्क हैं.

दरअसल 20 जुलाई को आदिवासी जिले डांग के वाघई तालुका के निवासी रवि जादव (19) और सुनील पवार (19) को मोटरसाइकिल चोरी के संदेह में चिखली पुलिस स्टेशन में हिरासत में लिया गया था. इसके बाद 21 जुलाई की सुबह करीब 8 बजे पुलिस ने दावा किया कि दोनों युवक थाने के कंप्यूटर कक्ष में एक कंप्यूटर सिस्टम से जुड़ी बिजली की केबल से लटके हुए पाए गए.

शुरुआत में एक्सीडेंटल डेथ रिपोर्ट दर्ज की गई थी. हालांकि हिरासत में यातना के संदेह पर आदिवासी समुदाय के नेताओं द्वारा आक्रोश के बाद एक फोरेंसिक पोस्टमॉर्टम किया गया और 28 जुलाई को चार पुलिसकर्मियों पर हत्या और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार की रोकथाम) की धाराओं के तहत भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत मामला दर्ज किया गया.

चार आरोपी पुलिसकर्मी है- इंस्पेक्टर अजीत सिंह जाला, सब-इंस्पेक्टर एमबी कोकनी, हेड कांस्टेबल शांति सिंह जाला और कांस्टेबल रामजी यादव प्राथमिकी दर्ज होने के लगभग एक महीने बाद भी फरार हैं.

रविवार को विधायक छोटू वसावा ने ट्वीट किया, “एफआईआर दर्ज होने के बाद भी अगर गिरफ्तारी नहीं होती है तो यह बड़े भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है. ऐसा लगता है कि न्यायिक प्रणाली अपराधियों को बचाने की कोशिश कर रही है. #justiceforsunilravi (sic).”

इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए छोटू वसावा ने कहा, “हमने नवसारी के कलेक्टर और पुलिस उपाधीक्षक को पत्र लिखकर आरोपी पुलिसकर्मियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की है. यह सरकार आदिवासी लोगों के लिए नहीं है. यह आदिवासियों को डराने के लिए पुलिस का इस्तेमाल करती है ताकि कल हम में से कोई भी आगे आने की हिम्मत न करे. इस मामले में कम से कम एक प्राथमिकी दर्ज की गई लेकिन कई मामलों में पुलिस हमारी शिकायत भी दर्ज नहीं करती है. यह सरकार हमारे खिलाफ अत्याचार करने वालों की रक्षा कर रही है.”

यह बताते हुए कि जांच चल रही है नवसारी के पुलिस अधीक्षक (SP) रुशिकेश उपाध्याय ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “चार आरोपी पुलिस और उनके परिवार के सदस्यों के फोन निगरानी में हैं. हम नवसारी में उनके आवासों और उनके पैतृक स्थानों के साथ-साथ उनके रिश्तेदारों पर भी नज़र रख रहे हैं. क्योंकि वे पुलिसकर्मी हैं इसलिए वे आम लोगों की तुलना में अधिक सतर्क हैं और गिरफ्तारी से बचते रहे हैं.”

उन्होंने कहा, “पुलिस की ओर से कोई ढिलाई नहीं बरती गई है क्योंकि आरोपी पुलिसकर्मी हैं. पुलिस जांच के अलावा चिखली सत्र न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा न्यायिक जांच भी चल रही है. हमने दिल्ली में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को फोरेंसिक पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और जांच रिपोर्ट भी भेज दी हैय इसलिए इस मामले में कई एजेंसियां ​​काम कर रही हैं और अब तक कोई ढिलाई नहीं बरती गई है.”

फोरेंसिक पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बारे में रुशिकेश उपाध्याय ने कहा, “यह सात डॉक्टरों के एक पैनल द्वारा किया गया था और शुरुआती रिपोर्ट में यातना के कोई निशान नहीं मिले हैं. मौत फांसी के कारण हुई थी. विस्तृत एफएसएल रिपोर्ट तीन महीने में सामने आएगी.”

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