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हिमाचल प्रदेश में हाटी समुदाय नहीं करेगा वोट, जनजाति दर्जे के लिए सरकार को अल्टिमेटम

हाटी समुदाय के संगठन महाखुंबली में यह फैसला किया गया है कि अगले विधान सभा चुनाव से पहले अगर उनको जनजाति का दर्जा नहीं दिया जाता है तो चुनाव का बहिष्कार किया जाएगा. ख़बरों के अनुसार ज़िले की 154 ग्राम पंचायतों के लोगों ने इस सभा में हिस्सा लिया.

हिमाचल प्रदेश के सिरमौर ज़िले में हाटी समुदाय ने कहा है कि इस साल के अंत में होने वाले विधान सभा चुनावों का वो बहिष्कार करेगा. सिरमौर ज़िले के गिरिपार के इलाके में हाटी समुदाय के लोग रहते हैं.

इस समुदाय के लोगों को पड़ौसी राज्य उत्तराखंड में जनजाति की सूचि में रखा गया है. इस समुदाय के लोग लंबे समय से हिमाचल प्रदेश में भी उन्हें जनाजाति का दर्जा दिया जाए. इस समुदाय के लोगों का कहना है कि उनकी जीवन शैली और भौगोलिक परिस्थितियां बिलकुल वैसी ही हैं जैसी उत्तराखंड के हाटी समुदाय की हैं.

हाटी समुदाय के संगठन महाखुंबली में यह फैसला किया गया है कि अगले विधान सभा चुनाव से पहले अगर उनको जनजाति का दर्जा नहीं दिया जाता है तो चुनाव का बहिष्कार किया जाएगा. ख़बरों के अनुसार ज़िले की 154 ग्राम पंचायतों के लोगों ने इस सभा में हिस्सा लिया. 

सिरमौर में हाटी समुदाय की इस मांग को लगातार उठाने वाले संगठन हाटी सेंट्रल कमेटी के अध्यक्ष अमिचंद कमल का कहना है कि अब समय आ गया है जब उन्हें अपनी इस मांग का समाधान चाहिए. उन्होंने कहा कि अब समुदाय के लोगों में इस मामले में जागरुकता और एकता दोनों पैदा हो चुकी है. 

गिरि नदी के पार के दूर दराज के इलाकों में हाटी सेंट्रल कमेटी लंबे समय से हाटी समुदाय के लोगों के बीच में जनजाती दर्जे की मांग के बारे में प्रचार कर रही है. 

सिरमौर की पांच में चार विधान सभा सीटों पर असर है

हिमाचल प्रदेश के सिरमौर ज़िले की पांच विधान सभा सीटों में से कम से कम चार सीटों पर हाटी समुदाय के लोगों का प्रभाव है. पिछले दिसंबर महीने से इस क्षेत्र में हाटी समुदाय के लोग बार बार सभाएं कर रहे हैं.

सोमवार को हुई सभा में रेणुकाजी के विधायक विनय कुमार और पद्मश्री सम्मान प्राप्त विद्यानंद सेरेक भी मौजूद थे. विधायक विनय कुमार ने कहा कि यह अफ़सोस की बात है कि हाटी समुदाय को अभी तक जनजाति का दर्जा नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि उत्तारखंड में हाटी समुदाय को 1967 में ही जनजाति का दर्जा दिया जा चुका है. लेकिन सिरमौर में लंबे संघर्ष के बाद भी अभी तक यह समुदाय जनजाति के दर्जे से वंचित है.

उनका कहना था कि सिरमौर में लगभग आधी आबादी हाटी समुदाय की है. यह समुदाय गिर नदी पार के क्षेत्र के दुर्गम इलाकों में रहता है. 

इस सभा में मौजूद हाटी समुदाय के एक और नेता प्रदीप सिंगटा ने कहा कि अब हाटी समुदाय के लोगों और नहीं बहकाया जा सकेगा. अब सरकार को हमारी मांग माननी ही पड़ेगी. 

1992 से मसला हल नहीं हो रहा है

2016 में हिमाचल प्रदेश की वीरभद्र सिंह सरकार ने हाटी समुदाय को जनजाति की सूचि में शामिल करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा था. लेकिन केन्द्र सरकार ने इस प्रस्ताव के जवाब में कहा कि राज्य सरकार ने जो प्रस्ताव भेजा है वह पर्याप्त नहीं है.

केन्द्र ने राज्य सरका से हाटी समुदाय से जुड़ी कुछ और जानकारी और तथ्य भेजने के लिए कहा था. लेकिन इस जवाब में केन्द्र सरकार ने दो साल लगा दिए. यह जवाब 2018 में केंद्र की तरफ से हिमाचल प्रदेश को भेजा गया था. 

इस मसले को हाल ही में कांग्रेस की सांसद प्रतिभा सिंह ने संसद में भी उठाया था. दरअसल 1992 में ही इस समुदाय के बारे में एक सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण कराया गया था. इस सर्वेक्षण के आधार पर इस समुदाय को जनजाति की सूचि में शामिल करने की सिफ़ारिश की गई थी.

लेकिन यह मामला आज तक लटका ही हुआ है. 

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