तमिल नाडु के कृष्णागिरी ज़िले की बेट्टामुगिलम पंचायत में ग्राम स्वास्थ्य नर्स (वीएचएन) के.सोफिया इस क्रिसमस को कभी नहीं भुला पाएंगी. वह उस मेडिकल टीम का हिस्सा थीं, जिसने शुक्रवार देर रात बेट्टामुगिलम की पहाड़ियों पर कदंबकुट्टई आदिवासी गांव की एक 26 साल की मां और उसके नवजात शिशु को बचाने में मदद की.
केलमंगलम ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर (बीएमओ) सी राजेश कुमार ने द न्यू इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्हें शुक्रवार रात करीब 10 बजे फोन आया कि कदंबकुट्टई की माधुरी ने शुक्रवार शाम करीब 5 बजे अपनी ड्यू डेट से एक महीने पहले एक बच्ची को अपने घर पर ही जन्म दिया और लगभग चार घंटों तक उनका खून बहा.
खबर मिलते ही बीएमओ, वीएचएन, स्वास्थ्य निरीक्षक आर रंगनाथन और यूनिचेट्टी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की नर्स एन मालाश्री ने ज़रूरी दवाओं के साथ कदंबकुट्टई की तलहटी का रुख किया. इस बीच उन्होंने बेट्टामुगिलम में 108 एंबुलेंस को भी अलर्ट किया. रात करीब 11.30 बजे एम्बुलेंस पहाड़ी के नीचे पहुंची.
राजेश ने कहा कि पहाड़ियों में खराब नेटवर्क कनेक्टिविटी की वजह से टीम को मरीज और उसके रिश्तेदारों से बात करने में काफी मुश्किल हुई. लेकिन अलग अलग लोगों से संपर्क करके आखिरकार वो उन से बात कर पाए और माधुरी और उनके पति मुनियप्पन (30) को तलहटी तक पहुँचने के लिए कहा.
कदंबकुट्टई गांव में 40 इरुला आदिवासी परिवार और कुछ हिंदु परिवार रहते हैं. वहां तक कोई सड़क संपर्क नहीं है, और लोगों को अपनी रोज़मर्रा की जरूरतों के लिए तलहटी तक पहुंचने के लिए 3 किमी नीचे पैदल चलना पड़ता है.
मेडिकल टीम, एम्बुलेंस चालक आर सेंधुरापंडी, और एम्बुलेंस के आपातकालीन चिकित्सा तकनीशियन (ईएमटी) एम अनीता ने लगभग रात 1 बजे चढ़ाई शुरू की. इस बीच, माधुरी के रिश्तेदार महिला को बांस और कंबल से बनी डोली में नीचे लाए. दोनो टीमें बीच में ही मिल गए, और मेडिकल टीम ने माधुरी को वहीं प्राथमिक उपचार दिया.
कदंबकुट्टई के एक ग्रामीण जे मुरुगेसन ने कहा, “लगभग एक हफ्ते पहले ही हमने अपने खेत के पास एक हाथी देखा था. गनीमत रही कि शुक्रवार की रात मेडिकल टीम या मरीज के सामने ऐसी कोई समस्या नहीं आई. हमने जिला प्रशासन से सड़क बनाने या तलहटी में हमें बसाने की गुहार लगाई है.”
कृष्णगिरी कलेक्टर वी जय चंद्र भानु रेड्डी ने कहा है कि जिला प्रशासन याचिका पर कार्रवाई कर रहा है.