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हिमाचल के हाटी समुदाय ने आदिवासी दर्जे की 50 साल पुरानी मांग को फिर से शुरू किया

हाटी विकास मंच के अध्यक्ष प्रदीप सिंघटा ने कहा कि हाटी समुदाय अब अपनी लड़ाई खुद लड़ेगा. अभी सही समय है. अब हम राजनीतिक नेताओं के बहकावे में नहीं आएंगे. हम पंचायत में एक साथ बैठेंगे और भविष्य की कार्रवाई तय करेंगे.

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए लगभग एक साल बाकी है. लेकिन पिछड़े सिरमौर जिले के हाटी समुदाय ने ट्रांस-गिरी क्षेत्र में स्थित 147 पंचायतों को आदिवासी दर्जा देने की अपनी पांच दशक पुरानी मांग को फिर से शुरू कर दिया है.

हाटी समुदाय के विभिन्न संगठनों ने ट्रांस-गिरी क्षेत्र को आदिवासी का दर्जा देने के लिए सरकार को राजी करने के लिए भविष्य की कार्रवाई तैयार करने के लिए 25 दिसंबर को पंचायत स्तर पर “खुम्बलिस” मण्डली आयोजित करने का एक संयुक्त आह्वान किया है. किसी व्यक्ति या संपत्ति से संबंधित विवादों के निवारण के लिए पुराने हिमाचल में पारंपरिक रूप से खुंबलियां आयोजित की जाती हैं.

सिरमौर जिले की लगभग 50 फीसदी आबादी में प्रमुख “हाटी” समुदाय शामिल है, जो गिरि नदी के पार कठिन परिस्थितियों में रहते हैं. जब से उत्तराखंड के जौनसार और बब्बर क्षेत्र, जो ट्रांस-गिरी क्षेत्र के साथ सीमा साझा करते हैं, को 1967 में अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया गया था, तब से ट्रांस-गिरी के निवासी भी उसी की मांग कर रहे हैं. लेकिन अब तक उनकी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.

हाटी विकास मंच के अध्यक्ष प्रदीप सिंघटा ने कहा, “हाटी समुदाय अब अपनी लड़ाई खुद लड़ेगा. अभी सही समय है. अब हम राजनीतिक नेताओं के बहकावे में नहीं आएंगे. हम पंचायत में एक साथ बैठेंगे और भविष्य की कार्रवाई तय करेंगे.”

यह बताते हुए कि आदिवासी का दर्जा उनके लिए क्यों महत्वपूर्ण है, उन्होंने कहा कि रोजगार दिन-ब-दिन बढ़ रहा है. दूरदर्शिता हमारे लिए जीवन को कठिन बना रही है. हमारे क्षेत्र के युवा किन्नौर में आदिवासियों को मिलने वाले लाभों से वंचित हो रहे हैं.

सेंट्रल हाटी कमेटी के अध्यक्ष अमीन चंदा कमल ने कहा, “खुंबलियों में पारित प्रस्तावों को प्रधानमंत्री कार्यालय भेजा जाएगा. दोनों दलों के राजनीतिक नेता हमारे मुद्दे को प्रभावी ढंग से उठाने में विफल रहे हैं.”

वहीं राज्य के अधिकारियों का कहना है कि मामला केंद्र के पास लंबित है.

दरअसल 2016 में, तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की अध्यक्षता वाली राज्य सरकार ने रोहड़ू में ट्रांस-गिरी क्षेत्र, डोडरा क्वार को आदिवासी का दर्जा देने के लिए केंद्र में एक मामला चलाया था.

वहीं 2018 में, आदिवासी मामलों के मंत्रालय ने राज्य सरकार को यह कहते हुए वापस लिखा कि हाटी समुदाय के बारे में नृवंशविज्ञान रिपोर्ट में दिए गए विवरण “पर्याप्त” नहीं थे. सरकार ने राज्य को पत्र लिखकर हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल करने के प्रस्ताव की फिर से जांच करने के लिए कहा था और सरकार को एक पूर्ण नृवंशविज्ञान अध्ययन करने की सिफारिश की थी.

आदिवासी विकास के प्रमुख सचिव ओंकार शर्मा ने कहा, “केंद्र ने कुछ स्पष्टीकरण मांगे थे और हमने उनका जवाब दिया है. मामला अब केंद्र सरकार के पास लंबित है.”

हाल ही में बीजेपी की हिमाचल इकाई के अध्यक्ष सुरेश कश्यप ने इस मांग को लेकर केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री अर्जुन मुंडा से मुलाकात की थी. उन्होंने इस मुद्दे पर दिल्ली में भारत के रजिस्ट्रार जनरल (RGI) विवेक जोशी से भी मुलाकात की थी.

कश्यप ने कहा, “हाटी समुदाय को आदिवासी का दर्जा देने की मांग लंबे समय से लंबित है. उत्तराखंड के जौनसार बाबर से सटे सिरमौर के ट्रांसगिरी क्षेत्र में सिरमौर के चार ब्लॉकों में लगभग 144 पंचायतें हैं और इसकी आबादी लगभग 2.75 लाख है. 1967 में जौनसार बाबर क्षेत्र के लोगों को आदिवासी घोषित किया गया. लेकिन हिमाचल के गिरिपार क्षेत्र के हाटी समुदाय को आदिवासी घोषित नहीं किया गया.”

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