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करीला मेले में बेडनी नर्तकियों का HIV टेस्ट निजता और नैतिकता दोनों का उल्लंघन है

आदिवासी महिलाओं का HIV टेस्ट बिना उनकी अनुमति के किया गया. क्या आप किसी संपन्न तबके की महिला के साथ प्रशासन के ऐसे रवैये की कल्पना भी कर सकते हैं.

मध्य प्रदेश के अशोकनगर में बेड़ियाँ जनजाति की महिलाओं का एचआईवी टेस्ट (HIV Test) कराए जाने से लोग नाराज़ हैं. जिला कलेक्टर उमा महेश्वरी आर ने इस मामले की जाँच के लिए एक कमेटी बनाई है. 

इस मामले में राज्य के महिला आयोग ने भी संज्ञान लिया है. महिला आयोग ने ज़िला अधिकार से इस मामले में रिपोर्ट माँगी है. 

यह मामला मध्य प्रदेश के अशोकनगर में करीला मेला से जुड़ा हुआ है. यह मेला रविवार को शुरू हुआ था. स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक इस मेले में नाचने के लिए आईं 11 नृत्यांगनाओं का HIV टेस्ट कराया गया है. 

यह भी पता चला है कि जिन महिलाओं का HIV टेस्ट कराया गया है उन्हें इसके बारे में बताया तक नहीं गया था. 

करीला मेला और बेड़िया जनजाति

मध्य प्रदेश के अशोकनगर से 35 किमी दूर करीला नाम का स्थान है जहाँ प्रसिद्ध जानकी माता का मंदिर स्थित है इस स्थान को लव कुश के जन्म स्थान के रूप में भी जाना जाता है.  रंगपंचमी पर धार्मिक एवं सांस्कृतिक मेले का आयोजन प्रतिवर्ष होता है जिसमे प्रसिद्ध राई नृत्य की प्रस्तुति दी जाती है. 

यहाँ पर यह मेला हर साल होने वाला आयोजन है जिसमें लाखों लोग शामिल होते हैं. ऐसी मान्यता है कि हिन्दूओं के भगवान राम की पत्नी ने घर से निकाल दिए जाने के बाद यहीं पर लव-कुश यानि अपने दो पुत्रों को इसी गाँव में जन्म दिया था. 

इस मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की मान्यता है कि यहाँ आने से उनकी मनोकामना पूरी होती है. जब किसी श्रद्धालु की मनोकामना पूरी होती है तो वह इस मेले में राई नाच का आयोजन करवाता है. 

राई एक परंपरागत नाच है जिसे बेड़ियाँ जनजाति की महिलाएँ करती हैं. इस मेले में हर साल 10 हज़ार से ज़्यादा संख्या में बेड़ियाँ जनजाति की महिलाएँ राई नाच के लिए पहुँचती हैं.  

कौन है बेड़ियाँ जनजाति

बेड़िया जनजाति देश विदेश में अपने राइ नृत्य के कारण प्रसिद्ध है. इस जनजाति की स्त्रियां स्थानीय संबोधन में बेड्नी भी कहा जाता है. इस जनजाति के लोग रेंगाड़ी, झमका, दापु , ढोलकी, मर्दंग, नगड़िया , झांझ और मीके जैसे वाद्य यंत्रो के साथ अपनी कला का प्रदर्शन करते है. 

कभी कभी राइ नृत्य 22-24 घंटो तक लगातार चलता है.  पुराने समय में बड़े बड़े लोगों के यहाँ इस नृत्य के बिना शादियाँ या किसी भी बड़े कार्यक्रम की रस्मों को अधूरा माना जाता था. इसका आयोजन भी एक अलग प्रकार से होता है. 

लोग एक घेरा बनाके खड़े हो जाते है, बीच में ग्राम नर्तिकी ख्याल नामक गीत गाते हुए चक्राकार नाचती है. पुरुष ढोलकी बजाते है. राइ नृत्य मणिपुरी में जैगोई नृत्य के भांगी पारंग से काफी मिलता जुलता है. 

राइ नृत्य से जुड़े ये कलाकार आज बदहाली का शिकार है.  बुंदेलखंड क्षेत्र के रनगाँव, पथरिया, विजावत,विदिशा, रायसेन, हबला, फतेहपुर, जैसे गाँवों में इस जनजाति के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं.  

बेड़िया जनजाति के अधिकतर आदमी कोई काम नहीं करते हैं. ये पूरी तरह से आय के लिए उनके घर की स्त्रियों पर निर्भर करते है.  एक प्रकार से देखा जाए तो बेड़िया समुदाय के लोगो  के घर के पालन पोषण का जिम्मा उस घर की अविवाहित स्त्रियों के कंधो पर रहता है. 

यही मुख्य कारण है की आज के समाज में जहाँ कन्या भ्रूण हत्या एक मुख्य समस्या बनी हुए है, वही इस समुदाय में लड़की के जन्म को एक त्यौहार की तरह मनाया जाता है.

निजता का हनन 

बेड़िया जनजाति की महिलाओं का करीला मेला में बिना बताए HIV टेस्ट करवाना उनकी निजता (privacy) के अधिकार का उल्लंघन है. प्रशासन का यह कदम उठाने का क्या प्रयोजन था यह तो अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ है, लेकिन इस मामले में प्रशासन ने नियमों और नैतिकता दोनों का ही पालन नहीं किया है. 

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