देश में ढांचागत विकास होने के बाद भी ऐसे कई गांव है जहां पर बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पाई है.
जिसमें राजस्थान के सिरोही ज़िले का एक गांव भी शामिल है. जहां पर बुनियादी सुविधाओं के साथ ही बिजली कि सुविधा भी उपलब्ध नहीं हो पाई है.
राजस्थान के सिरोही ज़िले के पहाड़ी इलाके में स्थित बोकी भागली गांव में अभी तक बिजली नहीं पहुंच पाई थी.
लेकिन यहां के रहने वाले एक आईआईटी स्नातक(IIT Graduate) लड़के का इस गांव तक बिजली पहुंचाने में एक बड़ा योगदान है.
क्या है पूरा मामला
राजस्थान के बोकी भागली(Boki Bhagli) गांव में कई सालों से बिजली सुविधाएं उपलब्ध नहीं थी. लेकिन इस गांव में पले बड़े 33 वर्षीय कुशा राम गरासिया(Kusha Ram Garasiya) ने अपनी कई कोशिशों के बाद यहां पर बिजली सुविधा उपलब्ध कराने में कामियाब रहा है और अब यह गांव भी बिजली की सुविधा से अछूता नहीं है.
उसने गांव में बिजली उपलब्ध कराने के संर्दभ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और स्थानीय विधायक संयम लोढ़ा सहित हर किसी को पत्र लिखा था ताकि गांव तक बिजली पहुंच पाए.
कुशा राम गरासिया ने बताया है कि उसने अपने आईआईटी में पढ़ाई के समय से ही राजनीतिक हस्तियों को पत्र लिखना शुरु कर दिया था.
बिजली विभाग ने उसे बताया था कि उसकी गांव में बिजली के खंभे लगाने की अनुमति नहीं दी जा सकती क्योंकि यह वन क्षेत्र के अंतर्गत आता है.
इसके अलावा विभाग ने अन्य बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराने में भी स्पष्ट रूप से अनिच्छुकता दिखाई थी.
2020 में जब कुशा राम गरासिया अपने गांव बोकी भागली में था. तो उसने एक शाम को अपने पूरे गांव को अंधेरे में डूबा देखकर सोशल मीडिया पर इस दृश्य पर भावुक होकर एक वीडियों अपलोड करने के साथ ही जन प्रतिनिधियों से यह अनुरोध किया था की इस पर कुछ करे.
जिसके बाद संयम लोढ़ा (MLA Sanyam Lodha) जो इसी गांव यानी सिरोही के स्वतंत्र विधायक है. इस मामले में उनका ध्यान गया और उन्होंने बताया था कि पत्रों और एक बैठक के माध्यम से इस मामले को आगे बढ़ाया जाएगा.
संयम लोढ़ा ने कहा है कि वह उल्लसित है कि जून से अबतक बोकी भगली गांव के 150 घरों में बिजली सुविधा उपलब्ध हो चुकी है और उन्होंने कुशा राम गरासिया के कोशिश की सराहना की जो गांव में इतना सुकद बदला लेकर आया.
कुशा राम गरासिया
कुशा राम गरासिया का जन्म बोकी भगली गांव में हुआ है. इसी गांव में उसने अपनी प्राथमिक शिक्षा यानी कक्षा 5वीं पूरी की है और 2010 में नवोदय विद्यालय से उच्च मध्यमिक यानी कक्षा 12वीं पूरी कि है.
उसने बताया है कि जब वह 12वीं में था. तब उसने अपने माता-पिता से उचित शिक्षा के लिए बात की था. जिसके बाद उसने कोटा के एक कोचिंग संस्थान में आईआईटी प्रवेश परीक्षा के पढ़ाई की और 2011 के परीक्षा को पास कर लिए था.
2018 में कुशा राम गरासिया ने आईआईटी मुंबई से बीटेक की पढ़ाई पूरी कि थी और तभी वह राजनीतिक नेताओं को पत्र लिखकर अपने गांव में बिजली सेवा उपलब्ध कराने की मांग करता था.
गांव वालो की राय
गांव के एक 50 वर्षीय ग्रामीण और मनरेगा मजदूर मोहन लाल गरासिया ने कहा है की उनके वहां साप और बिच्छू के काटने के मामले सामने आते है.
बिजली के आने से शाम एंव रात को रोशनी रहती है और इसने उनके जीवन बदल दिया है. पहले वह सूर्यास्त से पहले घर आ जाते थे. लेकिन अब वह सूर्यास्त के पहले घर लोटने के लिए मजबूर नहीं है.
गांव की एक 50 वर्षीय महिला थावरी बाई ने कहा है कि जब उन्होंने शादी की तो वह अपनी पति से शिकायत करती थी कि मेरी जिंदगी तबहा हो गई है. लेकिन बिजली आने के बाद से अब वह शाम को खाना अराम से बना लेती है.
इसके अलावा गांव के एक निवासी लखपत राम का कहना है कि बहुत जल्दी सड़क और टेलीफोन नेटवर्क भी आ जाएगा.
इस गांव में भले ही रोशनी के लिए बिजली आ गई है. लेकिन इस गांव की यह कहानी जंगल में बसे आदिवासी गांवों की दिक्कतों की तरफ भी ध्यान खींचती है.
अक्सर यह देखा जाता है कि वन विभाग, राजस्व विभाग और अन्य विभागों के बीच तालमेल की कमी की वजह से आदिवासी गांवों में बिजली, पीने के पानी या रास्ते की समस्या बनी रहती है.

