HomeAdivasi Dailyआदिवासी रूढ़िगत क़ानून को तरजीह, राँची हाईकोर्ट ने कहा हिन्दू मैरिज एक्ट...

आदिवासी रूढ़िगत क़ानून को तरजीह, राँची हाईकोर्ट ने कहा हिन्दू मैरिज एक्ट नहीं होगा लागू

जस्टिस अपरेश कुमार सिंह और जस्टिस अनुभा रावत चौधरी की एक खंडपीठ ने यह फ़ैसला सुनाया है. उन्होंने कहा कि फ़ैमिली कोर्ट अधिनियम, 1984 सभी धर्मों के लिए लागू एक धर्मनिरपेक्ष कानून है.

एक महत्वपूर्ण फ़ैसले में झारखंड हाई कोर्ट ने कहा है कि फ़ैमिली कोर्ट कस्टमरी लॉ के तहत तलाक़ की मांग करने वालों की अपील को खारिज नहीं कर सकते.

जस्टिस अपरेश कुमार सिंह और जस्टिस अनुभा रावत चौधरी की एक खंडपीठ ने यह फ़ैसला सुनाया है. उन्होंने कहा कि फ़ैमिली कोर्ट अधिनियम, 1984 सभी धर्मों के लिए लागू एक धर्मनिरपेक्ष कानून है.

इसकी धारा 7 फ़ैमिली कोर्ट के क्षेत्राधिकार से संबंधित है, और प्रावधान का सब-सेक्शन (1) (ए) कोर्ट को वो सभी अधिकार देता है, जो ज़िला कोर्ट को शादी, तलाक़, और उससे संबंधित कार्यवाहियों में होते हैं.

फ़ैमिली कोर्ट अधिनियम की धारा 7 में दिए गए प्रावधानों में ऐसा कहीं नहीं कहा गया है कि अनुसूचित जनजाति के सदस्य तलाक़ के लिए फ़ैमिली कोर्ट का दरवाज़ा नहीं खटखटा सकते.

आदेश में यह भी कहा गया है कि अगर ऐसा मामला कोर्ट में आता है, और दम्पति कस्टमरी लॉ के तहत मामले का निपटारा चाहते हैं, तो उसके लिए हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 के प्रावधानों का सहारा नहीं लिय जा सकता. ऐसा इसलिए कि आदिवासी लोग हिंदू मैरिज एक्ट से शासित नहीं हैं.

एक गोंड शादी

हाई कोर्ट रांची के फैमिली कोर्ट के एक आदेश के ख़िलाफ़ अपील पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें उरांव समुदाय के एक आदमी की तलाक़ की अपील को खारिज कर दिया गया था.

फ़ैमिली कोर्ट ने “द कस्टमरी लॉज़ ऑफ़ मुंडा एंड उरावं” पुस्तक का उल्लेख कर कहा कि इन समुदायों के कस्टमरी लॉज़ में इस मामले में लागू होने वाला कोई क़ानून नहीं है.

कोर्ट ने यह भी कहा कि हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 की धारा 2 (2) इस क़ानून को आदिवासी समुदायों पर लागू होने से रोकती है.

इसके अलावा रांची फ़ैमिली कोर्ट ने कहा था कि चूंकि अपीलकर्ता अपने समुदाय के कस्टमरी लॉ के तहत तलाक़ की मांग कर रहे हैं, इसलिए इस याचिका की सुनवाई सिर्फ़ सामुदायिक पंचायत में हो सकती है, न कि कोर्ट में.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments