HomeAdivasi Dailyहेमंत सोरेन का बड़ा राजनीतिक दांव, 1932 डोमिसाइल का कटऑफ़ साल होगा

हेमंत सोरेन का बड़ा राजनीतिक दांव, 1932 डोमिसाइल का कटऑफ़ साल होगा

स्थानीयता नीति पर राज्य के आदिवासी संगठनों ने लगातार 1932 खतियान को आधार बनाने की मांग की थी क्योंकि उनके अनुसार राज्य के भूमि रिकॉर्ड का अंग्रेज सरकार ने अंतिम बार 1932 में सर्वेक्षण किया था.

झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने बुधवार को आरक्षण से जुड़ा बड़ा फैसला लिया है. झारखंड सरकार ने बुधवार को राज्य सरकार की नौकरियों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग, ओबीसी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के सदस्यों के लिए 77 फीसदी आरक्षण देने के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी है.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई बैठक में राज्य मंत्रिमंडल ने ओबीसी आरक्षण को वर्तमान 14 फीसदी से बढ़ाकर 27 फीसदी कर दिया.

सरकार के फैसले पर अमल होने के साथ राज्य में SC, ST, OBC और EWS का कुल आरक्षण 77 फीसदी हो जाएगा. इसमें अत्यंत पिछड़ा वर्ग की 15 फीसदी , पिछड़ा वर्ग की 12 फीसदी, अनुसूचित जाति की 12 फीसदी, अनुसूचित जनजाति की 28 फीसदी और EWS की 10 फीसदी हिस्सेदारी होगी.

फिलहाल, झारखंड में अनुसूचित जनजाति को 26 फीसदी आरक्षण मिलता है, जबकि अनुसूचित जाति को 10 फीसदी.

कैबिनेट सचिव वंदना दादेल ने कहा, “मंत्रिमंडल ने एससी, एसटी, पिछड़ा वर्ग, अन्य पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 77 फीसदी आरक्षण के लिए झारखंड पदों और सेवाओं में रिक्तियों के आरक्षण अधिनियम, 2001 में संशोधन के लिए आरक्षण विधेयक को मंजूरी दे दी है.”

इसके अलावा कैबिनेट ने झारखंड का डोमिसाइल (स्थानीय निवासी) होने के लिए नया मापदंड तय किया है. नई पॉलिसी के अनुसार जिन व्यक्तियों या जिनके पूर्वजों के नाम 1932 में राज्य में हुए भूमि सर्वे के कागजात (खतियान) में दर्ज होंगे, उन्हें ही झारखंड राज्य का डोमिसाइल यानी स्थानीय निवासी माना जायेगा.

इस बारे में झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधान सभा में मुख्य सचेतक (Chief Whip) ने MBB से बात करते हुए कहा, “झारखंड में स्थानीय नीति को परिभाषित करना राजनीतिक और सामाजिक दोनों ही तरह से बेहद ज़रूरी काम था. JMM ने लगातार इस बारे में राज्य की जनता से वादा भी किया था. अब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक बड़ा फैसला लिया है.”

ऐसे लोग जिनके पूर्वज 1932 या उसके पहले से झारखंड में रह रहे हैं, लेकिन जमीन न होने के कारण जिनके नाम 1932 के सर्वे कागजात (खतियान) में दर्ज नहीं होंगे, उन्हें ग्राम सभाओं की पहचान के आधार पर डोमिसाइल माना जायेगा. आरक्षण का लाभ उन्हें ही मिलेगा, जो झारखंड के डोमिसाइल होंगे.

स्थानीयता नीति पर राज्य के आदिवासी संगठनों ने लगातार 1932 खतियान को आधार बनाने की मांग की थी क्योंकि उनके अनुसार राज्य के भूमि रिकॉर्ड का अंग्रेज सरकार ने अंतिम बार 1932 में सर्वेक्षण किया था.

सचिव वंदना डाडेल ने बताया कि कैबिनेट में पारित प्रस्ताव के अनुसार आरक्षण बढ़ाने और डोमिसाइल की पॉलिसी लागू करने के लिए राज्य सरकार विधानसभा में विधेयक पारित कराएगी. इसके बाद इन्हें संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए केंद्र सरकार को भी भेजा जाएगा.

वहीं मंत्रिमंडल की बैठक के बाद सचिवालय में मीडिया से बातचीत करते हुए सीएम सोरेन ने कहा, ‘‘राज्य सरकार ने आज अनेक ऐतिहासिक फैसले किये. राज्य ने आज निर्णय ले लिया है कि यहां 1932 का खतियान लागू होगा. राज्य में पिछड़ों को सरकारी नौकरी में 27 फीसदी आरक्षण मिलेगा. इससे राज्य में कर्मचारियों को उनका हक मिलेगा.”

झारखंड कैबिनेट के इन दोनों फैसलों को राज्य की मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों के बीच बेहद अहम माना जा रहा है. झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद तीनों सत्ताधारी पार्टियों ने अपने चुनावी घोषणापत्र में भी पिछड़ों के लिए 27 फीसदी आरक्षण का वादा किया था. इसी तरह 1932 के खतियान के आधार पर डोमिसाइल का मुद्दा झारखंड अलग राज्य बनने के साथ ही उठ रहा था.

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