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JMM, कांग्रेस: आदिवासियों के लिए ‘जनजातीय गौरव दिवस’ से ज़्यादा ज़रूरी सरना धर्म कोड

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 15 नवंबर को 'जनजातीय गौरव दिवस' के रूप में घोषित करने की मंजूरी दे दी है. इसमें बीजेपी खुद को आदिवासी हितैषी बता कर वाहवाही लूट रही है.

झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) और कांग्रेस, झारखंड में शासन करने वाली दो प्रमुख पार्टियों ने गुरुवार को आदिवासी क्रांतिकारी बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने के केंद्र के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है.

दोनों राजनीतिक दलों ने मुखर रूप से इस घोषणा का विरोध किया और दावा किया कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को आगामी जनगणना में सरना धार्मिक संहिता को शामिल करना चाहिए अगर वह वास्तव में आदिवासी समुदायों को उनका उचित सम्मान देना चाहती है.

JMM के गिरिडीह विधायक और पार्टी महासचिव सुदिव्या कुमार ने कहा, “सरना धार्मिक संहिता आदिवासी समुदायों के अस्तित्व से जुड़ी है और इस संबंध में झारखंड विधानसभा द्वारा एक प्रस्ताव भी पारित किया गया था. अगर केंद्रीय मंत्रिमंडल अलग सरना धार्मिक संहिता को मंजूरी देता है तो यह वास्तव में आदिवासी समुदायों के अस्तित्व को बनाए रखने का एक ईमानदार प्रयास होगा.”

वहीं कांग्रेस ने इस घोषणा को राजनीतिक एजेंडा बताया. झारखंड कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने गुरुवार को टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, “जब झारखंड में पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास के नेतृत्व में दोहरी सरकार थी तो राज्य के आदिवासी क्रांतिकारियों को उनका उचित सम्मान देने के लिए कुछ नहीं किया गया था. अब जब बीजेपी सत्ता में नहीं है तो उन्हें अचानक भगवान बिरसा मुंडा की याद आई है.”

उन्होंने कहा, “यह एक राजनीतिक एजेंडा के अलावा और कुछ नहीं है. झारखंड के 12 बीजेपी सांसदों में से कोई भी संसद में सरना धार्मिक आस्था के अभ्यासियों के लिए एक अलग धार्मिक कोड की मांग करने का साहस नहीं जुटा सका और अब वे भगवान बिरसा मुंडा के नाम का इस्तेमाल अपने राजनीतिक लाभ के लिए लोगों के साथ तालमेल बिठाने के लिए कर रहे हैं.”

दरअसल केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 15 नवंबर को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में घोषित करने की मंजूरी दे दी है. इसमें बीजेपी खुद को आदिवासी हितैषी बता कर वाहवाही लूट रही है.

केंद्रीय मंत्रिमंडल की घोषणा के तुरंत बाद राज्य में बीजेपी के विधायक पीएम मोदी को धन्यवाद देने में शामिल हो गए. प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष दीपक प्रकाश और पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी ने घोषणा को देश के आदिवासी समुदायों की लड़ाई की भावना के लिए एक मान्यता बताया.

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