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आधार कार्ड न होने से आदिवासी बच्चों को नहीं मिल रही आंगनबाड़ी स्कूलों में जगह

इसका एक बड़ा नुकसान यह है कि वो इलाक़े के आंगनबाड़ी स्कूलों में प्रवेश नहीं पा सकते. इसका सीधा नतीजा यह है कि वो पौषिकाहारम योजना के तहत मिलने वाले पौष्टिक भोजन से भी वंचित हैं.

आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम एजेंसी इलाक़े के गुदुतूर पंचायत की बोड्डू ममीदी और निट्टा ममीदी बस्तियों के कम से कम 84 आदिवासी बच्चे ऐसे हैं जिनके पास न तो आधार कार्ड है और न ही जन्म प्रमाण पत्र. 

इसका एक बड़ा नुकसान यह है कि वो इलाक़े के आंगनबाड़ी स्कूलों में प्रवेश नहीं पा सकते. इसका सीधा नतीजा यह है कि वो पौषिकाहारम योजना के तहत मिलने वाले पौष्टिक भोजन से भी वंचित हैं. 

इन आदिवासी लोगों को सरकार की कल्याणकारी योजना के लिए आवेदन देने के लिए गांव के वॉलंटियर तक पहुंचने के लिए 15 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है. एक आदिवासी परिवार के मुखिया पोंगी सुधाकर ने न्यू इंडियन को बताया कि उन्होंने 11 नवंबर को नरसीपट्टनम में आयोजित स्पंदन कार्यक्रम में गिरिजाना संघम नेताओं के साथ जिला कलेक्टर ए मल्लिकार्जुन से मुलाकात की थी, और अपनी इस मुश्किल के बारे में बताया था. 

कलेक्टर के निर्देश पर एकीकृत जनजातीय विकास एजेंसी (आईटीडीए) के परियोजना अधिकारी ने राजस्व अधिकारियों को समस्याओं का समाधान ढूंढने को कहा है. 

बोड्डू ममीदी और निट्टा ममीदी में बुनियादी सुविधाओं की भी कमी है. बस्तियों तक सड़क संपर्क की कमी के अलावा बिजली और पीने के पानी की आपूर्ति नहीं है. दोनों बस्तियों को मिलाकर करीब 250 आदिवासी परिवार यहां रहते हैं.

इन आदिवासी बस्तियों में बुनियादी ढांचे की कमी को पूरा करने की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए गिरिजन संघम ने मांग की है कि आदिवासी बच्चों के लिए आधार कार्ड जारी करने के लिए एजेंसी गांवों में एक मोबाइल केंद्र स्थापित किया जाए. 

आधार कार्ड आंगनबाड़ी केन्द्रों और दूसरी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए बेहद ज़रूरी है.

(तस्वीर प्रतीकात्मक है.)

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