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कर्नाटक: वाल्मीकि ट्राइबल वेलफेयर घोटाले में कांग्रेस नेताओं के ठिकानों पर ईडी की छापेमारी

एक ही घोटाला, तीन जांच एजेंसियां और तीन अलग-अलग निष्कर्ष — कौन है असली दोषी? कर्नाटक के बहुचर्चित वाल्मीकि ट्राइबल वेलफेयर घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED), CID और राज्य की SIT – तीनों एजेंसियों की जांच रिपोर्ट एक-दूसरे से मेल क्यों नहीं खा रही है.

केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कर्नाटक के बल्लारी ज़िले और बेंगलुरु शहर में कांग्रेस नेताओं से जुड़े कई ठिकानों पर बुधवार को छापेमारी की.

यह कार्रवाई महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम से जुड़े करोड़ों रुपये के घोटाले के मामले में की गई.

बुधवार सुबह से करीब 60 ईडी अधिकारी बेंगलुरु में 3 और बल्लारी में 5 जगहों पर एक साथ छापे मार चुके हैं.

सूत्रों के मुताबिक ईडी ने कांग्रेस सांसद ई. तुकाराम, विधायक ना. रा. भारत रेड्डी, जे. एन. गणेश (कामपली गणेश), एन. टी. श्रीनिवास और पूर्व मंत्री बी. नागेन्द्र के घरों और दफ्तरों पर छापेमारी की है.

बी. नागेन्द्र के सहायक गोवर्धन के घर पर भी छापेमारी की गई.

इसके अलावा, विधायकों के सरकारी आवास ‘लेजिस्लेटर्स हाउस’ में भी बी. नागेन्द्र के कमरे की तलाशी ली गई.

क्या है पूरा मामला?

यह घोटाला कर्नाटक सरकार के एक बोर्ड “महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम” के पैसे के दुरुपयोग से जुड़ा है.

कुल 187 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप है. 187 करोड़ में से करीब 89.6 करोड़ रुपये फर्ज़ी खातों और शेल कंपनियों के जरिए आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भेजे गए.

इस घोटाले का खुलासा तब हुआ जब इस बोर्ड के अकाउंट्स सुपरिटेंडेंट पी. चंद्रशेखरन ने आत्महत्या कर ली. उन्होंने सुसाइड नोट में लिखा कि उन पर नेताओं और वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा दबाव बनाया जा रहा था और घोटाले को छुपाने की कोशिश हो रही थी.

ईडी ने बी. नागेन्द्र को इस घोटाले का मास्टरमाइंड बताया है. वे पहले अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री रह चुके हैं.

जुलाई 2024 में उनकी गिरफ्तारी हुई थी और तीन महीने जेल में रहने के बाद उन्हें ज़मानत मिल गई.

सरकार और विपक्ष की प्रतिक्रिया

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा, “जो भी दोषी है, उस पर कार्रवाई होनी चाहिए. मैं किसी का पक्ष नहीं लूंगा. जांच होनी चाहिए और सच सामने आना चाहिए.”

वहीं उनके आर्थिक सलाहकार बसवराज रायारेड्डी ने कहा, “केवल कांग्रेस नेताओं को निशाना बनाना गलत है. यह डर फैलाने की राजनीति है.”

कांग्रेस नेता बी.के. हरिप्रसाद ने कहा, “जांच होनी चाहिए, यह गलत नहीं है लेकिन बीजेपी ईडी को अपने राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है.”

किस जांच एजेंसी ने क्या कहा?

ईडी ने इस घोटाले में नागेन्द्र और 24 अन्य को आरोपी बताया है. इसमें कई बिचौलिए और सहयोगी शामिल हैं. वहीं राज्य की CID टीम ने 300 पन्नों की चार्जशीट में किसी कांग्रेस नेता का नाम नहीं लिया है. विशेष जांच दल ने भी नागेन्द्र को क्लीन चिट दी है.

घोटाले की जड़ें गहरी हैं और जांच एजेंसियों के बीच विरोधाभास भी देखने को मिल रहा है. एक ओर जहां ईडी नेताओं को घोटाले का मास्टरमाइंड बता रही है वहीं राज्य की SIT और CID कांग्रेस नेताओं का नाम तक नहीं ले रही. ऐसे में सच सामने लाना काफी मुश्किल भरा होगा.

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