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तेलंगाना: गुडूर आदिवासी स्कूल के छात्रों के सिर के ऊपर आखिरकार होगी छत

मंत्री को ट्विटर के माध्यम से छात्रों को हो रही दिक्कतों के बारे में पता चला, जब किसी ने स्कूल की इमारत का वीडियो शूट कर रामा राव के आधिकारिक हैंडल को टैग करते हुए इसे ट्वीट किया.

तेलंगाना के महबूबाबाद जिले के गुडूर मंडल के तहत आने वाले कोंगरागिड्डा गांव में आदिवासी कल्याण प्राइमरी स्कूल के छात्र आखिरकार राहत की सांस ले सकते हैं, क्योंकि उनके स्कूल की इमारत के बुनियादी ढांचे को सुधारने के कदम उठाए जा रहे हैं.

राज्य के MAUD (Municipal Administration and Urban Development) मंत्री और TRS के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामा राव ने त्वरित प्रतिक्रिया की जब उन्हें पता चला कि स्कूल में कक्षाओं की जर्जर स्थिति की वजह से छात्रों को खेल के मैदान में खुले आसमान के नीचे पढ़ना पड़ रहा है.

मंत्री को ट्विटर के माध्यम से छात्रों को हो रही दिक्कतों के बारे में पता चला, जब किसी ने स्कूल की इमारत का वीडियो शूट कर रामा राव के आधिकारिक हैंडल को टैग करते हुए इसे ट्वीट किया.

रामा राव ने तुरंत वीडियो का जवाब दिया और महबूबाबाद कलेक्टर के. शशांक को स्कूल का निरीक्षण करने और बच्चों की देखभाल करने का निर्देश दिया.मंत्री के निर्देश पर शशांक और आदिम जाति कल्याण विभाग के अधिकारियों ने गुरुवार को गांव का दौरा कर स्कूल का निरीक्षण किया.

दौरा करने पर उन्हें पता चला कि स्कूल के सभी 44 छात्र खेल के मैदान में पढ़ने को मजबूर हैं, क्योंकि उनकी कक्षाओं की हालत बुरी है. ऊपर से छात्रों को उनका मिड डे मील भी मैदान में परोसा जाता है.

स्कूल के कर्मचारियों के अनुसार, आदिवासी स्कूल का निर्माण 1987 में किया गया था. हालांकि, बाद में सत्ता में आने वाली किसी भी सरकार ने स्कूल के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए कोई बजटीय प्रावधान नहीं किया. स्कूल की छत कई जगह इतनी बुरी हालत में है किकभी भी गिर सकती है. ऐसे में कर्मचारी और छात्र इमारत के अंदर कदम रखने से भी डरते हैं.

‘ठेकेदार पैसे लेकर फरार’

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए एक कर्मचारी ने कहा कि अधिकारियों ने राजीव विद्या मिशन (आरवीएम) के तहत एक नई इमारत के निर्माण के लिए 5 लाख रुपये आवंटित किए थे. इसके बाद एक ठेकेदार ने काम शुरू किया और कंक्रीट के खंभे खड़े किए, बाद में पूरा पैसा लेकर निर्माण को बीच में ही रोक कर, ठेकेदार फरार हो गया.

कर्मचारी ने यह भी आरोप लगाया कि धोखाधड़ी में तत्कालीन स्कूल प्रिंसिपल के भी हाथ था. उन्होंने कहा कि हालांकि ठेकेदार ने कभी भी निर्माण कार्य जारी नहीं रखा, लेकिन स्कूल के खाते में सिर्फ 93,000 रुपये बचे हैं, जबकि अधिकारियों ने 5 लाख रुपये जमा किए थे.

2 महीने में पूरे होंगे सारे काम: कलेक्टर

अब कलेक्टर के शशांक ने कहा है कि लंबित कार्यों को दो महीनों में पूरा कर लिया जाएगा. उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि पिछले प्रिंसिपल ने ठेकेदार के साथ मिलीभगत की, और नए स्कूल बिल्डिंग के निर्माण के लिए जारी किए गए पैसों में से 4 लाख रुपये से ज्यादा लूट लिया.

उन्होंने कहा, “हम जांच करेंगे और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे.”

काम फिर से शुरू होने के बाद कक्षाओं को सामुदायिक हॉल में शिफ्ट कर दिया जाएगा.

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