क्रमिक सरकारों द्वारा शुरू किए गए विशेष कार्यक्रमों के बावजूद केरल में जनजातीय उपनिवेश पीढ़ियों से पिछड़ेपन से ग्रस्त रहे हैं. केरल के अट्टपाड़ी में पिछले कुछ दिनों में 12 से ज्यादा आदिवासी शिशुओं की मौत हो चुकी है. वहीं अब केरल के स्वास्थ्य विभाग के ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि यहां 426 गर्भवती महिलाओं में से 245 स्वास्थ्य समस्याओं के कारण हाई रिस्क वाली सूची में हैं.
गर्भवती महिलाओं की कुल संख्या में से 218 अनुसूचित जनजाति वर्ग से हैं और इनमें से 191 हाई रिस्क सूची में हैं.
एनीमिया, कुपोषण, गर्भपात का खतरा, सिकल सेल, गर्भपात का जोखिम, कम वजन और जन्मजात मधुमेह जैसे कई स्वास्थ्य मापदंडों पर विचार करते हुए गर्भवती महिलाओं को हाई रिस्ट वाली सूची में शामिल किया गया है.
महिला को सूची में शामिल करने का निर्णय कम से कम पांच बार स्कैनिंग के बाद ही लिया जाता है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने समझाया कि इनमें से मां और भ्रूण के स्वास्थ्य की स्थिति पर सबसे स्पष्ट तस्वीर पांचवें महीने में स्कैन के दौरान प्राप्त होती है.
लेकिन अट्टपाड़ी में स्थायी रेडियोलॉजिस्ट नहीं होने के कारण नियमित अंतराल पर स्कैन करने में दिक्कत होती है. इसलिए अन्य अस्पतालों के डॉक्टरों को स्कैनिंग के लिए लाया जाता है.
जो हाई रिस्क वाली सूची में रहने वाली गर्भवती महिलाओं के लिए परामर्श प्रदान करने की सामान्य प्रथा है और उन्हें कोयंबटूर या त्रिशूर मेडिकल कॉलेज में ले जाया जाता है. लेकिन अधिकारियों ने बताया कि यह खतरनाक है क्योंकि सड़कों की हालत खस्ता है.
इससे पहले मनोरमा ने बताया था कि अट्टपाड़ी के आदिवासी क्षेत्र में गर्भवती महिलाओं के लिए वित्तीय सहायता वित्त विभाग द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के बाद मार्च के बाद से महीनों से लंबित है.
गर्भवती होने पर महिलाओं के लिए अनुशंसित वजन कम से कम 45 किलोग्राम है. लेकिन अट्टपाड़ी में 426 गर्भवती महिलाओं में से 98 का वजन 45 किलो से कम है. इनमें से 90 अनुसूचित जनजाति वर्ग की हैं.
विपक्षी नेता वी डी सतीसन के नेतृत्व में यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) का एक दल सोमवार को अट्टपाड़ी का दौरा करेगा.