मध्य प्रदेश में आदिवासी वोट बैंक को लेकर सियासत तेज हो गई है. शिवराज सरकार 15 नवंबर को में आदिवासी नेता बिरसा मुंडा की जयंती पर मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आयोजित ‘जनजातीय गौरव दिवस महासम्मेलन’ करने जा रही है. इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिरकत करेंगे.
राजधानी के जंबूरी मैदान में इसकी तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. आयोजन के लिए कुल 16 करोड़ रुपये का बजट तय हुआ है. इनमें से 13 करोड़ रुपये सिर्फ जंबूरी मैदान पर होने वाले कार्यक्रम में खर्च होगा. इसके अलावा बड़वानी को 77 लाख, खरगोन को 72 लाख, सीहोर को 71 लाख, धार को 62 लाख और होशंगाबाद में 61 लाख रुपये दिए गए हैं.
इस बीच कांग्रेस विधायक हीरालाल अलावा ने आरोप लगाया है कि यह महासम्मेलन आयोजित कर राज्य सरकार आदिवासी कोष को मोदी के प्रचार में बर्बाद कर रही है.
इस महासम्मेलन की तैयारियों के लिए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में शुक्रवार को पूरे प्रदेश के आला अधिकारियों की बैठक बुलाई गई है. चौहान ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी 15 नवंबर को भोपाल में आयोजित जनजातीय गौरव दिवस महासम्मेलन में शामिल होंगे और जनजातीय कल्याण से संबंधित विभिन्न योजनाओं को आरंभ करेंगे.’’
उन्होंने कहा कि सबसे पहले मध्य प्रदेश सरकार ने इस दिन को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया था और अब यह दिवस हर साल पूरे भारत में मनाया जाएगा. जो जनजातीय सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण, वीरता, आतिथ्य और राष्ट्रीय गौरव के भारतीय मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए जनजातियों के प्रयासों को मान्यता देगा.
वहीं मध्य प्रदेश सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा आला अधिकारियों को जारी पत्र में कहा गया है, ‘‘मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में जनजातीय गौरव दिवस महासम्मेलन के आयोजन के संबंध में 12 नवंबर को पूर्वाह्न 11 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सभी संभागायुक्त, जिलाधिकारियों, समस्त पुलिस महानिरीक्षकों एवं पुलिस अधीक्षकों की बैठक का आयोजन किया गया है.’’
इसमें कहा गया है कि मुख्यमंत्री निवास से की जाने वाली इस वीडियो कॉन्फ्रेंस में प्रदेश के समस्त कैबिनेट एवं राज्यमंत्री भी भाग लेंगे.
वहीं कांग्रेस विधायक हीरालाल अलावा ने आरोप लगाया कि बीजेपी आदिवासियों के विकास के लिए संविधान में आर्टिकल 275(1) के तहत उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के लिए मिले करोड़ों रुपये को पानी की तरह बहाने की तैयारी में है. उन्होंने कहा कि कहा कि जो करोड़ों रुपये आदिवासी विकास पर खर्च होने चाहिए थे, वह प्रधानमंत्री के जलसे में खर्च हो रहे हैं.
अलावा ने कहा, ‘‘कार्यालय आयुक्त जनजातीय कार्य की ओर से जिलाधिकारियों को 11 नवंबर को आदेश दिया गया कि वे जिला मुख्यालय से आदिवासियों को भोपाल लेकर आएं. इस काम के लिए आदिवासियों की शिक्षा, स्वास्थ्य और दूसरी विकास योजनाओं के लिए निश्चित 13 करोड़ रुपये सिर्फ उत्सव के लिए खर्च किए जा रहे हैं.’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह तो सिर्फ प्रधानमंत्री के आवागमन के कार्यक्रम और उनके भोजन के मद में खर्च की जा रही रकम है. इसके अलावा भी करोड़ों रुपया, जो आदिवासी विकास पर खर्च होना चाहिए था, वह प्रधानमंत्री के जलसे में खर्च हो रहा है.’’
इसी बीच बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबितक बीजेपी भोपाल में प्रदेश के 2.50 लाख आदिवासियों को इकट्ठा करने की कोशिश कर रही है ताकि आने वाले अगले चुनावों में उनका वोट हासिल कर अपना जनाधार बढ़ा सके. उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों से इन आदिवासियों को जनजातीय गौरव दिवस महासम्मेलन में लाने के लिए सैकड़ों बसें लगाई जाएंगी.
कांग्रेस ने भी इसी दिन जबलपुर में जनजातीय सम्मेलन का ऐलान किया है. इसमें कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ शामिल होंगे. जबलपुर में आदिवासी सम्मेलन कर कांग्रेस बीजेपी को अपनी ताकत दिखाना चाहती है.
2011 की जनगणना के मुताबिक मध्य प्रदेश में 43 आदिवासी समूह हैं. प्रदेश में आदिवासियों की आबादी 2 करोड़ से ज्यादा है जो 230 में से 84 विधानसभा सीटों पर असर डालती है. इनमें सबसे ज्यादा करीब 60 लाख की आबादी भील भिलाला, गोंड की आबादी करीब 50 लाख, कोल 11 लाख, कोरकू और सहरिया करीब 6-6 लाख हैं.