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मध्य प्रदेश: सरदारपुर में हाड़ कंपा देने वाले मौसम में आसमान के नीचे रहने को मजबूर आदिवासी

पिछले 10 दिनों से ये सभी आदिवासी परिवार खुले आसमान के नीचे सड़क पर गुजारा कर रहे हैं. अब तक किसी प्रशासनिक अधिकारी ने इनकी सुध नहीं ली है.

धार जिले की सरदारपुर तहसील के छोटे से बरखेड़ा गांव के सात आदिवासी परिवारों ने अपने गांव के सरपंच और उप सरपंच पर गंभीर आरोप लगाते हुए दावा किया कि उनके घरों को उजाड़ दिया गया क्योंकि उन्होंने उन्हें रिश्वत देने से इनकार कर दिया.

आदिवासियों ने दावा किया कि सरपंच और उपसरपंच ने उनसे अपने घरों को टूटने से बचाने के लिए एक-एक लाख रुपये देने को कहा था और मांगें पूरी नहीं करने पर उनके घरों को तोड़ दिया गया. इन सात घरों में से दो मकान पट्टे की जमीन पर बने थे.

अब हाड़ कंपा देने वाली इस सर्दी में सभी परिवार खुले आसमान के नीचे रातें बिताने को विवश हैं.

पट्टे की दो मालिकों राजूदीबाई और शांतिबाई ने बताया कि वे पांच अन्य परिवारों के साथ पिछले 30 वर्षों से अस्थायी आश्रयों में सर्वेक्षण संख्या 881/2 के तहत पंजीकृत सरकारी भूमि पर रह रहे थे. उन्होंने कहा कि 5 दिसंबर, 2016 को बरखेड़ा ग्राम पंचायत ने हमें इस जमीन पर बने हमारे दो घरों के पट्टे भी दे दिए थे.

राजूदीबाई ने कहा कि 19 दिसंबर को सरपंच के पति सुनील मेड़ा, बरखेड़ा ग्राम पंचायत के उप सरपंच आनंदी लाल मारू हमारे घर आए और कहा कि एक-एक लाख रुपये दो, नहीं तो हमारे घर तोड़ दिए जाएंगे. हमने कहा कि हमारे पास देने के लिए इतने पैसे नहीं हैं.

इसके बाद वे चले गए और 20 दिसंबर को सरपंच के पति सुनील मेड़ा, उपसरपंच आनंदी लाल मारू और नायब तहसीलदार रवि शर्मा दोपहर 1:30 बजे जेसीबी लेकर आए और मकान को तोड़ना शुरू कर दिया. हमने अनुरोध किया कि हमारे पास रहने के लिए कोई वैकल्पिक आश्रय नहीं है और उनसे अनुरोध किया कि वे हमारे घरों को न गिराएं इसके बावजूद हमारे घरों को तोड़ दिया गया.

राजोद थाने में राजूदीबाई ने तहरीर दी है लेकिन पुलिस ने इस मामले में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है.

पिछले 10 दिनों से ये परिवार खुले आसमान के नीचे सड़क पर गुजारा कर रहे हैं. अब तक किसी प्रशासनिक अधिकारी ने इनकी सुध नहीं ली है.

इस बीच जयस तहसील अध्यक्ष राजेंद्र गामड़ ने आदिवासी परिवारों को अपना समर्थन दिया और कहा कि सरपंच, उप सरपंच और नायब तहसीलदार ने अवैध रूप से घरों को तोड़ दिया है.

गामड़ ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि अगर अगले सात दिन में पीड़ित आदिवासियों को न्याय नहीं दिया गया तो जयस ज़िले में आंदोलन करेगा और बरखेड़ा गांव से भोपाल तक पैदल मार्च निकालेगा.

वहीं संपर्क करने पर नायब तहसीलदार रवि शर्मा ने कहा कि जो भी कार्रवाई की गई है वह नियमानुसार की गई है.

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