मध्य प्रदेश के झाबुआ में छात्रों से गाली-गलौज करने के मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक्शन लिया है. उन्होंने ज़िले के एसपी अरविंद तिवारी को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया है.
सीएम शिवराज सिंह ने दावा किया कि वो छात्रों और नौजवानों के ख़िलाफ़ अभद्र भाषा के इस्तेमाल को बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं. इसलिए उन्होंने इस मामले में एसपी को नहीं बख़्शा है. उन्होंने कहा कि एसपी की आवाज़ की पुष्टि होते ही उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई कर दी गई है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि जैसे ही रिपोर्ट उनके पास आई कि वह आवाज़ तत्कालीन एसपी झाबुआ की ही आवाज थी. वैसे ही एसपी के ख़िलाफ़ एक्शन ले लिया गया. उन्होंने कहा कि बच्चों के लिए जो अपशब्दों को इस्तेमाल करे, इसको मैं किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं कर सकता और झाबुआ एसपी को मैं तत्काल प्रभाव से सस्पेंड करता हूं.

इस मामले में कांग्रेस के आदिवासी नेता यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष डॉक्टर विक्रांत भूरिया ने कहा की इस मामले में कार्रवाई मुख्यमंत्री की मजबूरी बन गई थी. उन्होंने MBB से बात करते हुए कहा, “इस मामले में साफ़ सबूत मौजूद था. इसके अलावा यह मामला लगातार तूल पकड़ रहा था इसलिए एसपी के ख़िलाफ़ एक्शन लेना मुख्यमंत्री की मजबूरी बन गई.”
एसपी झाबुआ के ख़िलाफ़ एक्शन की एक और वजह के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री को पेटलावद में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेना था. इस मामले में अगर वो कार्रवाई नहीं करते तो उनका घेराव किया जाता. इसलिए उन्होंने अपनी इज़्ज़त बचाने के लिए एसपी को सस्पेंड किया है.”
विक्रांत भूरिया ने मुख्यमंत्री शिवराज चौहान के आदिवासी विकास और सुरक्षा के दावों पर कई सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में क़ानून व्यवस्था चरमरा चुकी है. राज्य में कई मामले सामने आए हैं जब पुलिस हिरासत में आदिवासियों की मौत हुई है.
इसके अलावा वो कहते हैं कि अगर सचमुच में आदिवासी विकास पर मुख्यमंत्री चिंतित हैं तो बताएँ कि राज्य में जो 1.5 लाख पद ख़ाली पड़े हैं वो क्यों नहीं भरे जा रहे हैं. मध्य प्रदेश में आदिवासी छात्रों को समय पर स्कॉलरशिप का पैसा क्यों नहीं मिलता है.
उन्होंने कहा कि झाबुआ में एसपी की शिकायत लंबे समय से की जाती रही है. लेकिन उनके ख़िलाफ़ कभी कोई कदम सरकार ने नहीं लिया. डॉक्टर विक्रांत भूरिया ने सरकार पर आरोप लगाया कि झाबुआ में पुलिस अफ़सर आम लोगों को सुरक्षा देने की बजाए शराब तस्करों को सुरक्षा देते हैं.
दरअसल, झाबुआ के एक पॉलिटेक्निक कॉलेज में रविवार देर रात छात्रों के दो गुटों में मारपीट हो गई थी. रविवार देर रात ही छात्रों का एक गुट झाबुआ कोतवाली गया था. उन्होंने थाने में शिकायत में कहा कि कॉलेज में सीनियर छात्र हमारी रैगिंग करते हैं. हमारे साथ मारपीट करते हैं और हमारे कमरों में जबरन घुस आते हैं.
छात्रों ने शिकायत में कहा कि अगर दूसरे छात्र हमें बचाने आते हैं तो वे उनके साथ भी मारपीट करते हैं. मारपीट की शिकायत करने पर कॉलेज के प्रोफेसर भी कोई एक्शन नहीं लेते हैं.
छात्रों की शिकायत पर कोतवाली पुलिस ने ध्यान नहीं दिया. इस दौरान एक छात्र ने झाबुआ एसपी अरविंद तिवारी को फोन किया और पूरी बात बताते हुए सुरक्षा देने की मांग की. एसपी अरविंद तिवारी ने सुरक्षा देने की जगह छात्रों को फोन पर ही जमकर गालियां दीं.
एसपी ने छात्रों को हवालात में डालने की धमकी देते हुए बहुत ही अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया. एसपी के इस व्यवहार पर सोमवार को छात्रों बातचीत का ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया.
मामले की जानकारी सीएम शिवराज सिंह के पास भी पहुंची थी. ऑडियो सुनने के बाद उन्होंने तत्काल डीजीपी को एसपी झाबुआ अरविंद तिवारी को हटाने के आदेश दिए थे.
निर्देश जारी होने के कुछ मिनट बाद गृह विभाग ने एसपी तिवारी को सहायक महानिरीक्षक के पद पर भोपाल स्थित पुलिस मुख्यालय में ट्रांसफर कर दिया. लेकिन कुछ घंटों बाद, उन्हें सिविल सेवा आचरण नियमों का उल्लंघन करने के लिए निलंबित कर दिया गया. हालांकि, तिवारी ने ऑडियो के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब नहीं दिया.
दरअसल, सोमवार सुबह भोपाल में हुई वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक के दौरान ऑडियो सामने आया था. एसपी को उनके पद से हटाने के आदेश पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वीडियो संदेश जारी किया. जिसमें उन्होंने कहा कि उनके (एसपी अरविंद तिवारी) द्वारा इस्तेमाल की गई भाषा अनुचित थी. कोई बच्चों के साथ अनुचित भाषा का उपयोग कैसे कर सकता है?
वहीं अरविंद तिवारी, जिन्होंने इंदौर में अतिरिक्त एसपी के रूप में कार्य किया है, को 2020 में आईपीएस कैडर में पदोन्नत किया गया था और इस साल मई में एसपी झाबुआ के रूप में तैनात किया गया था.