मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच ने आदिवासी यूनिवर्सिटी स्थापित करने से जुड़ी एक जनहित याचिका को स्वीकार किया है. इस जनहित याचिका में तमिलनाडु में एक आदिवासी विश्वविद्यालय स्थापित करने की माँग की गई है.
अदालत ने इस सिलसिले में केन्द्र सरकार और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है.
इस जनहित याचिका में कहा गया है कि मध्यप्रदेश और आंध्र प्रदेश में इस तरह के विश्वविद्यालयों की स्थापना की जा चुकी है.
उसी तरह से तमिलनाडु में भी आदिवासी संस्कृति पर शोध और उसके संरक्षण के लिए एक आदिवासी विश्वविद्यालय की स्थापना होनी ही चाहिए.
इस जनहित याचिका में कहा गया है कि मध्य प्रदेश में इंदिरा गांधी नेशनल ट्राइबल विश्वविद्यालय अमरकंटक में स्थापित है. आंध्र प्रदेश के विजयनगरम में भी एक आदिवासी सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनाई गई है.
याचिकाकर्ता एस सेलवागोमती ने अपनी जनहित याचिका में तर्क दिया है कि तमिलनाडु में भी आदिवासी आबादी है. इस आबादी की संस्कृति और भाषा बोली पर शोध और संरक्षण की ज़रूरत है. याचिकाकर्ता ने कहा है कि यह विश्वविद्यालय डिंडिगुल या निलगिरी के इलाक़े में बनाई जानी चाहिए.
इस जनहित याचिका की सुनवाई जस्टिस एमएम सुंदरेश और एस अनंनती कर रहे थे.
2011 की जनगणना के अनुसार तमिलनाडु में कुल आदिवासी आबादी 104281034 दर्ज की गई थी. राज्य के नीलगिरी और धरमपुरी में सबसे ज़्यादा आदिवासी आबादी है. तमिलनाडु के कम से कम 15 ज़िलों में आदिवासी आबादी मिलती है.
तमिलनाडु में मलयाली, टोडा, कुरूंबा, पनिया, इरूला, कट्टूनायकन बड़े आदिवासी समुदाय हैं. इस राज्य में कई आदिवासी समूह हैं जिन्हें आदिम जनजाति यानि पीवीटीजी की श्रेणी में रखा गया है.