महाराष्ट्र सरकार आदिवासी रोगियों के लिए निजी अस्पतालों में रेमडेसिविर इंजेक्शन का खर्च उठाएगी.
आदिवासी विकास विभाग मंत्री के.सी. पदवी ने कहा कि महाराष्ट्र में कोविड-19 मामलों की संख्या में बढ़ोत्तरी है, और यह महामारी शहरी क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं है. ग्रामीण इलाक़ों और आदिवासी बस्तियों में भी यह तेज़ी से फैल रही है.
आदिवासी आबादी में संसाधनों की कमी को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने निजी अस्पतालों में दिए जाने वाले रेमडेसिविर इंजेक्शन का ख़र्च उठाने का फैसला किया है.
विभाग के न्यूक्लियस बजट से एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना के प्रत्येक परियोजना अधिकारी को 10 लाख रुपए के उपयोग की मंज़ूरी भी दी गई है.
मंत्री ने कहा कि बजट की कमी किसी भी आदिवासी योजना के कार्यान्वयन में बाधा नहीं बनने दी जाएगी. विभाग ने स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं प्रदान करने के लिए अब तक 172 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं.
हालांकि, विभाग ने रेमडेसिविर इंजेक्शन मुफ़्त में दिए जाने के लिए कुछ मापदंड भी लागू किए हैं. इनमें लाभार्थी की सालाना आय 8 लाख से कम होनी चाहिए, और इलाज करने वाला निजी अस्पताल महात्मा ज्योतिबा फुले जन आरोग्य योजना में नामांकित नहीं होना चाहिए.
इसके अलावा आदिम जनजातियों, विधवाओं, निर्जन महिलाओं, विकलांगों और गरीबी रेखा से नीचे के लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी.
न्यूक्लियस बजट का उपयोग उन योजनाओं के लिए किया जाता है, जिनका उल्लेख राज्य के बजट में नहीं किया गया है, या जिसके लिए केंद्र से फ़ंड प्राप्त नहीं मिलता है.