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हिडमे मरकाम की रिहाई की मांग हुई तेज़, 50 दिन से ज़्यादा से हैं जेल में क़ैद

दावा है कि हिडमे की गिरफ्तारी का तरीक़ा अवैध और आपत्तिजनक था, और उनके ख़िलाफ़ आरोप गिरफ़्तारी के बाद इजाद किए गए हैं.

दुनिया भर के 1,000 से ज़्यादा कार्यकर्ताओं, शिक्षाविदों और नागरिकों ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से आदिवासी मानवाधिकार और पर्यावरण कार्यकर्ता हिडमे मरकाम को रिहा करने की अपील की है.

इसके अलावा यह मांग भी है कि मरकाम के ख़िलाफ़ यूएपीए (UAPA) सहित सभी आरोपों को खारिज किया जाए.

50 दिनों से ज़्यादा समय से जेल में बंद हिडमे मरकाम को 9 मार्च को दंतेवाड़ा के समेली गांव से पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने गिरफ्तार किया था. वहां आदिवासी महिलाओं के बलात्कार और हत्याओं को याद करने और शोक मनाने के लिए एक कार्यक्रम चल रहा था.

आदिवासियों द्वारा पवित्र माने जाने वाले पहाड़ के खनन का विरोध करने के लिए, मरकाम ने दूसरे आदिवासी कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर नंदराज पहाड़ बचाओ आंदोलन का भी आयोजन किया था.

बघेल को लिखे पत्र में आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता अलका कुजूर, एलिना होरो, लिंगराम कोडोपी, फ़ेमिनिस्ट कार्यकर्ता सईदा हामिद, अरुणा रॉय, और मीरा संघमित्रा, और नेशनल अलायंस फॉर पीपुल्स मूवमेंट, सहेली, पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज, आदिवासी एकता मंच, अदानी वॉच, और स्टॉप अडानी जैसे संगठनों के हस्ताक्षर हैं.

इस पत्र में इन्होंने कहा है कि हिडमे को आदिवासी भूमि और जीवन की रक्षा करने के लिए टारगेट किया जा रहा है.

इसके अलावा यह लोग दावा करते हैं कि हिडमे की गिरफ्तारी का तरीक़ा अवैध और आपत्तिजनक था, और उनके ख़िलाफ़ आरोप गिरफ़्तारी के बाद इजाद किए गए हैं.

इन सब की मांग है कि छत्तीसगढ़ सरकार नक्सलवाद का मुकाबला करने की आड़ में पर्यावरण, आदिवासी और दूसरे मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर लगाम कसना बंद करे.

उन्होंने बस्तर में पुलिस द्वारा कथित रूप से बलात्कार और युवतियों की हत्या की स्वतंत्र और उच्च स्तरीय जांच की मांग भी की है.

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