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मणिपुर में NRC की माँग, ट्राइबल संगठनों ने दिया ज्ञापन

प्रधानमंत्री को ज्ञापन देने वाले संगठनों ने मणिपुर में भी इनर लाइन परमिट लागू करने के फ़ैसले का स्वागत किया है. प्रधानमंत्री को दिए ज्ञापन में इन संगठनों ने माँग की है कि राज्य में बसे विदेशी नागरिकों की पहचान करके उन्हें अलग कैंपों में रखा जाए. 

मणिपुर के कई आदिवासी संगठनों (Indigenous Organisations) ने नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीज़नस (National Registar Of Citizens) लागू करने की मांग को तेज़ किया है. इस सिलसिले में इन संगठनों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक ज्ञापन सौंपा है. 

इन संगठनों में शामिल डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स अलायन्स ऑफ मणिपुर (DESAM) के अध्यक्ष लेसांगथिम लंबयांगबा (Leishangthem Lamyanba) ने MBB से बात करते हुए कहा कि मणिपुर में लगातार बर्मा, बांग्लादेश और नेपाल से लोग आ कर बस रहे हैं. राज्य के लिए यह एक बड़ी समस्या है. 

इसलिए हम चाहते हैं कि मणिपुर में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीज़नस यानि NRC लागू किया जाए. वो कहते हैं कि अगर राज्य में NRC लागू हो जाता है तो राज्य में ग़ैर क़ानूनी तरीक़े से बसे लोगों की पहचान हो सकेगी. 

प्रधानमंत्री को ज्ञापन देने वाले संगठनों ने मणिपुर में भी इनर लाइन परमिट लागू करने के फ़ैसले का स्वागत किया है. प्रधानमंत्री को दिए ज्ञापन में इन संगठनों ने माँग की है कि राज्य में बसे विदेशी नागरिकों की पहचान करके उन्हें अलग कैंपों में रखा जाए. 

अपने मसलों के बारे में MBB से विस्तार से बात करते हुए उन्होंने कहा कि मणिपुर के पहाड़ी इलाक़ों में सिर्फ़ ट्राइबल समुदायों के लोग ही रह सकते हैं. राज्य में इस बारे में क़ानूनी व्यवस्था मौजूद है. लेकिन विदेशों से आए नागरिक अब पहाड़ी इलाक़ों में भी बस रहे हैं. 

उन्होंने आगे कहा कि इतना ही नहीं है कि ये लोग विदेश से आ कर हमारे इलाक़े में बस गए हैं. बल्कि वो अब चुनी हुई संस्थाओं में भी हिस्सा बन रहे हैं. क्योंकि वहाँ पर उन्होंने आधार कार्ड और दूसरे दस्तावेज़ जुटा लिए हैं. 

मणिपुर में NRC की माँग कर रहे संघठन 1951 को कटऑफ़ साल बनाने की माँग कर रहे हैं. साथ ही कुछ छात्र संगठनों ने यह माँग भी की है कि मणिपुर में एक पॉपुलेशन कमिश्नर नियुक्त होना चाहिए.

इन संगठनों का कहना है कि बाहर से आ कर बसे लोग अब राज्य के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक सभी पहलुओं पर प्रभुत्व क़ायम कर रहे हैं. इसलिए यह बेहद ज़रूरी है कि इसे रोका जाए, जिससे वहाँ की मूल संस्कृति और परंपरा को बचाया जा सके.

ये संगठन बेशक इनर लाइन परमिट (ILP) को एक ज़रूरी और सकारात्मक कदम बताते हैं, लेकिन ज़्यादातर लोगों का मानना है कि इसका कोई ख़ास मतलब मणिपुर के लिए नहीं है. क्योंकि मणिपुर में मूलनिवासी (Indigenous) की कोई निश्चित या आधिकारिक परिभाषा ही नहीं है.

मणिपुर के कई संगठनों की NRC की माँग का कई राजनीतिक दल और संगठन विरोध भी करते हैं. मसलन राज्य की सीपीएम इकाई का कहना है कि यह माँग बीजेपी के उकसाने पर उठाई जा रही है. पार्टी के मणिपुर राज्य कमेटी के सचिव के शांता का कहना है कि NRC के नाम पर असम में जो किया गया, वो हम मणिपुर में नहीं चाहते हैं.

उन्होंने कहा कि यह राजनीति से प्रेरित माँग है जिसे बीजेपी हवा दे रही है. उन्होंने कहा कि इस माँग के बहाने राज्य में मुसलमानों को टार्गेट किया जा रहा है. 

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