देश भर में विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों या आदिम जनजाति यानि PVTGs के बीच बढ़ते कोविड संक्रमण से चिंतित, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने राज्यों को एक एडवाइज़री जारी की है. इसमें पीवीटीजी समुदाय के लोगों की समय पर टेस्टिंग, इलाज और वैक्सिनेशन सुनिश्चित करने पर ज़ोर है.
पीवीटीजी समुदायों में कोरोनावायरस फैलने की मीडिया रिपोर्ट्स का संज्ञान लेते हुए NHRC के महासचिव बिंबाधर प्रधान ने ओडिशा सहित दूसरे राज्यों को अपनी सिफारिशें लागू करने और चार हफ़्तों में एक रिपोर्ट देने के लिए कहा है.
NHRC ने राज्यों को पीवीटीजी समुदायों को प्राथमिकता के साथ डोर-टू-डोर आरटी-पीसीआर टेस्ट अभियान चलाने और उसकी रिपोर्ट का जल्द वितरण सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है.
राज्यों को 60 दिनों के अंदर सभी पीवीटीजी का वैक्सिनेशन सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है. इसके लिए कुछ सुझाव भी दिए हैं, मसलन
- मोबाइल मेडिकल टीम
- डॉक्टरों / पैरामेडिकल स्टाफ की समर्पित टीम
- COVID मेडिकल किट की आपूर्ति
- स्थानीय बोली में जागरुकता अभियान
- नियमित जांच सुनिश्चित करना
- स्वच्छता का रखरखाव
NHRC ने कहा है कि मानव संपर्क को कम करने के लिए ज़रूरी मेडिकल किट बांटने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जाए. इसके अलावा पीवीटीजी समुदायों का कोविड के इलाज का पूरा ख़र्च राज्य सरकार उठाए. इसके अलावा पीवीटीजी आदिवासी बस्तियों में बाहरी लोगों के प्रवेश पर सख़्त प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए.
पीवीटीजी परिवारों को मुफ्त सूखे राशन की डोरस्टेप डिलीवरी सुनिश्चित करने का भी निर्देश है. आयोग ने कहा, “कई पीवीटीजी समुदाय विलुप्त होने की कगार पर हैं, ऐसे में कोविड संक्रमण उन्हें पूरी तरह से ख़त्म कर सकता है. यह मानवता और मानव जाति की विविधता के लिए बड़ी क्षति होगी.”
इसके अलावा, महामारी के दौरान आय के नुकसान की भरपाई करने के लिए मनरेगा के तहत किए जाने वाले भुगतान के बराबर पेंशन, छात्रवृत्ति, और मासिक नकद भुगतान दिया जाए.
NHRC ने राज्यों को पीवीटीजी समुदायों की कोविड संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए जिला नियंत्रण कक्ष में 24-घंटे की विशेष हेल्पलाइन खोलने का निर्देश भी दिया गया है. ओडिशा के 14 ज़िलों में 13 पीवीटीजी समुदाय हैं, और इनमें अब तक 230 लोगों को कोविड संक्रमण हो चुका है.