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कुड़मी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग हुई तेज़

कुड़मी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग संसद में भी उठी है. 7 फरवरी 2022 को केन्द्र सरकार लोकसभा में त्रिपुरा के आदिवासी समुदायों को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने का एक बिल लाई. इस बिल पर चर्चा से पहले कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने सरकार से मांग रखी की पश्चिम बंगाल, ओडिशा और झारखंड राज्य के कुड़मी समाज को भी इस सूची में शामिल किया जाना चाहिए था.

2024 के आम चुनाव से पहले ओडिशा के मयूरभंज जिले के कुड़मी समुदाय ने अनुसूचित जनजाति (Scheduled tribe) का दर्जा पाने की अपनी मांग तेज़ कर दी है. कुड़मी मोहंता महासभा द्वारा रविवार को बारीपदा में आयोजित एक विशाल सार्वजनिक समारोह के दौरान समुदाय के नेताओं ने इस मांग को फिर से दोहराया.

विशाल रैली के लिए ओडिशा, झारखंड और पश्चिम बंगाल के हजारों लोग छऊ पड़िया में इकट्ठे हुए. वे मधुबन से शुरू होकर बारिपदा के छऊ पड़िया तक पारंपरिक वाद्य यंत्र माडल को बजाते हुए जुलूस में आए.

कुड़मी मोहंता महासभा के संयोजक छोटेलाल मोहंता ने बड़ी सभा को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य के मयूरभंज, क्योंझर, सुंदरगढ़ और जाजपुर में लाखों कुड़मी लोग रह रहे हैं. उनके समुदाय के कई लोग दूसरे राज्यों में भी रह रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम आदिवासी हैं लेकिन हमारे पास अनुसूचित जनजाति का दर्जा नहीं है. हम पिछले कई सालों से इसकी मांग कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि ओडिशा सरकार को तुरंत कुड़मी समुदाय को एसटी सूची में शामिल करने के लिए केंद्र से सिफारिश करनी चाहिए. केंद्र को एसटी दर्जे की हमारी मांग पूरी करनी चाहिए और हमारी कुड़मी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करना चाहिए. साथ ही कुदुमाली संस्कृति को सरकारी मान्यता दें.

मोहंता ने कहा कि झूमर या झुमइर नृत्य और इससे जुड़े संस्कृति को राज्य सरकार द्वारा झूमर अकादमी खोलकर बढ़ावा दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, “राज्य को भुवनेश्वर में एक एकड़ भूमि पर कुड़मी भवन स्थापित करना चाहिए और हमारे समुदाय के विकास के लिए एक विशेष वित्तीय पैकेज की घोषणा करनी चाहिए.”

उन्होंने राज्य सरकार से मकर, करम पूजा और बंदना त्योहारों के लिए सरकारी अवकाश घोषित करने की भी मांग की. उन्होंने कहा, “हमने अपनी मांगों को पूरा करने के लिए सरकार पर दबाव बनाने के लिए इस रैली और जुलूस का आयोजन किया है.”

2019 के आम चुनाव से पहले भी कुड़मी समुदाय के हजारों लोगों ने अपने समुदाय को आदिवासी का दर्जा देने की मांग को लेकर लोअर पीएमजी स्क्वायर पर एक विशाल रैली की थी. अभी कुड़मी समुदाय अन्य पिछड़ी जाति (OBC) की श्रेणी में आ रहे हैं.

कुड़मी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग संसद में भी उठी है. 7 फरवरी 2022 को केन्द्र सरकार लोकसभा में त्रिपुरा के आदिवासी समुदायों को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने का एक बिल लाई. इस बिल पर चर्चा से पहले कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने सरकार से मांग रखी की पश्चिम बंगाल, ओडिशा और झारखंड राज्य के कुड़मी समाज को भी इस सूची में शामिल किया जाना चाहिए था. उन्होंने लोकसभा में बोलते हुए कहा कि कुड़मी समुदाय को 1931 में आदिम जनजाति माना गया था.

कुड़मी समाज ओडिशा के साथ साथ झारखंड और बंगाल में भी बसा है. बंगाल में इनकी आबादी 40 लाख है. झारखंड में कुड़मी समाज की आबादी 25 प्रतिशत है. ओडिशा में इस जाति की आबादी 25 लाख है.

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