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ओडिशा में 5 साल से कम उम्र के आदिवासी बच्चों की मौत में वृद्धि- सर्वे

हालांकि ओडिशा ने देश में शिशु मृत्यु दर (IMR) में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की है, लेकिन अनुसूचित जनजातियों में अंडर-5 मृत्यु दर (USMR) चिंता का कारण रही है.

राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण (National Family Health Survey) के अनुसार, ओडिशा में अनुसूचित जनजातियों में 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु 2015-16 में 65.6 प्रति 1000 जीवित बच्चों से बढ़कर 2021 में प्रति 1000 जीवित बच्चों पर 66.2 हो गई है.

सर्वेक्षण में कहा गया है कि न सिर्फ बच्चे बल्कि राज्य में महिलाएं भी अत्यधिक एनीमिया से पीड़ित हैं. ओडिशा में गर्भवती महिलाओं में एनीमिया की दर 2015-16 के 47.6 फीसदी से बढ़कर 2019-21 में 61.8 फीसदी हो गई है, जबकि राष्ट्रीय दर 52.2 फीसदी है. इसने राज्य में उच्च मातृ मृत्यु दर को जन्म दिया है.

महिला एवं बाल विकास मंत्री बसंती हेम्ब्रम के मुताबिक, राज्य में 2016-17 से 2021-22 तक पांच साल से कम उम्र के 92,924 बच्चों की मौत हुई है. मंत्री ने विधानसभा को बताया कि अकेले 2021-22 में, पांच साल से कम उम्र के 14,228 बच्चों की मौत हुई है.

हालांकि ओडिशा ने देश में शिशु मृत्यु दर (IMR) में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की है, लेकिन अनुसूचित जनजातियों में अंडर-5 मृत्यु दर (USMR) चिंता का कारण रही है.

आदिवासी बच्चों के पोषण पर काम करने वाले एक सामाजिक कार्यकर्ता रामप्रसाद पटनायक ने कहा, “आदिवासी बच्चों में उच्च USMR का प्रमुख कारण जन्म के समय कम वजन है, जो बाद में गंभीर कुपोषण और बच्चों की मृत्यु का कारण बनता है. विभिन्न सरकारी हस्तक्षेपों के बावजूद अस्वच्छ स्वास्थ्य प्रथाओं, रहने की स्थिति, भौगोलिक इलाके भी आदिवासी बच्चों के बीच बढ़ते यूएसएमआर में योगदान करते हैं.”

बसंती हेम्ब्रम ने यह भी स्वीकार किया कि एनीमिया ओडिशा में एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता है जो राज्य में हर दो में से एक महिला को प्रभावित करती है. गर्भवती महिलाओं में एनीमिया की व्यापकता 2015-16 के 47.6 फीसदी से बढ़कर 2019-21 में 61.8 फीसदी हो गई है.

15-49 वर्ष के प्रजनन आयु वर्ग में, 64.3 फीसदी एनीमिया से ग्रसित हैं, जबकि एनीमिया की व्यापकता की दर 15-19 वर्ष की आयु वर्ग की किशोरियों में सबसे अधिक है. ने कहा कि 6-59 महीने के आयु वर्ग के बच्चों में एनीमिया 64.2 फीसदी है.

आयरन की कमी या एनीमिया का मातृत्व दर पर सीधा प्रभाव पड़ता है. स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर नरहरि अगस्ती ने कहा, “गर्भवती महिलाओं में एनीमिया के कारण समय से पहले जन्म और जन्म के समय कम वजन होता है.”

हालांकि, ओडिशा सरकार ने किशोर एनीमिया नियंत्रण कार्यक्रम (AACP), आयरन और फोलिक एसिड सप्लीमेंट अंडर ऑब्जर्वेशन (IFSO), साप्ताहिक आयरन फोलिक एसिड सप्लीमेंट (WIFS), और एनीमिया मुक्त ओडिशा जैसी कई योजनाएं शुरू की हैं.

(प्रतिकात्मक तस्वीर)

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