केरल विधानसभा चुनाव से पहले कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (मार्क्सवादी) (CPIM) की कुछ मुश्किल बढ़ गई है. माकपा के एक फीडर संगठन आदिवासी अधिकार राष्ट्रीय मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ई ए शंकरन ने बुधवार को इस्तीफा दे दिया.
शंकरन सुल्तानबत्तेरी विधानसभा क्षेत्र में एलडीएफ़ उम्मीदवार के रूप में केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (KPCC) के पूर्व सचिव एम.एस. विश्वनाथन के चयन से ख़फ़ा हैं.
शंकरन का कहना है कि वो कथित तौर पर आगामी चुनाव के लिए इस सीट से एलडीएफ़ के उम्मीदवार माने जा रहे थे. दूसरी ओर विश्वनाथन ने कांग्रेस से इस्तीफा देने के अगले दिन माकपा जॉइन की थी.
उधर कांग्रेस भी विधानसभा चुनाव से पहले प्रमुख नेताओं के इस्तीफ़ों से परेशान है, वो भी राहुल गांधी के निर्वाचन क्षेत्र वायनाड में. विश्वनाथन इस्तीफ़ों की इसी कड़ी का हिस्सा हैं.
विश्वनाथन ने इस्तीफ़ा देने के बाद कहा कि वो केपीसीसी नेतृत्व और ज़िला कांग्रेस कमेटी द्वारा कुरुम्बा समुदाय की उपेक्षा से नाराज़ हैं. कुरुम्बा एक आदिम जनजाति यानि PVTG है, और वायनाड ज़िले का एक प्रमुख समुदाय है.
सुल्तानबत्तेरी के मुद्दे
सुल्तानबत्तेरी केरल विधानसभा में आदिवासियों के लिए आरक्षित दो सीटों में से एक है. यहां की अधिकांश आबादी आदिवासी है, और यहां मानव-पशु संघर्ष, कृषि संकट और आदिवासियों का भूमि स्वामित्व बड़े मुद्दे हैं.
पिछले चुनाव
सुल्तानबत्तेरी राज्य की बाकी 139 सीटों के साथ 6 अप्रैल, 2021 को मतदान करेगा. वायनाड ज़िले में स्थित सुल्तानबत्तेरी यूडीएफ़ (UDF) का गढ़ रहा है, और 1977 के बाद एलडीएफ़ (LDF) गठबंधन यहां सिर्फ़ दो बार जीतने में कामयाब रहा है.
कांग्रेस के विधायक आईसी बालकृष्णन ने 2011 और 2016 दोनों में 7000 से ज़्यादा की मार्जिन से चुनाव जीता था.
हालांकि, LDF इस सीट के कुछ क्षेत्रों में प्रभाव रखता है. 2015 से सुल्तानबत्तेरी नगरपालिका पर एलडीएफ़ का ही क़ब्ज़ा है.
कुल मतदाता, जनसंख्या
सुल्तानबत्तेरी में 2.17 लाख पंजीकृत मतदाता हैं, जिनमें से 1.06 लाख पुरुष, 1.1 लाख महिला और एक ट्रांसजेंडर मतदाता हैं. अप्रैल में होने वाले चुनाव के लिए इस निर्वाचन क्षेत्र में 216 मतदान केंद्र होंगे.
सुल्तानबत्तेरी निर्वाचन क्षेत्र में अम्बलवयल, मीनांगडी, मुल्लनकोली, नेन्मेनी, नूलपुझा, पूतड़ी, पुलपल्ली और सुल्तानबत्तेरी पंचायत शामिल हैं.