तमिलनाडु विधानसभा के चुनाव प्रचार ख़त्म होने में चार दिन से कम समय बचा है, तो ज़ाहिर है सभी पार्टियों के उम्मीदवार ज़्यादा से ज़्यादा मतदाताओं तक पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं. लेकिन फिर भी कुछ आदिवासी बस्तियां ऐसी भी हैं, जहां कोई चुनाव प्रचार हुआ ही नहीं है.
सत्यमंगलम टाइगर रिज़र्व के अंदर स्थित 427 मतदाताओं वाली मल्लियम्मन दुर्गम बस्ती और 55 मतदाताओं वाली नंदीपुरम बस्ती, जो भवानीसागर विधानसभा क्षेत्र में आती हैं, और 487 वोटरों वाली कुट्टइयूर बस्ती और 134 वोटर्स के साथ कदिरिमलई बस्ती जो अंतियूर क्षेत्र में आती हैं, इनमें कभी कोई उम्मीदवार प्रचार के लिए नहीं पहुंचा है.
वजह साफ़ है. इन बस्तियों तक पहुंचना बेहद मुश्किल है. मल्लियमन दुर्गम बस्ती से गाड़ी चलाने लायक सड़क लगभग नौ किलोमीटर दूर है. इस बस्ती के हालात ये हैं कि यहां घरों में बिजली सोलर पैनल के ज़रिए हाल ही में सितंबर 2018 में पहुंची, आज़ादी के 71 साल बाद.
सड़क और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं के अभाव में यहां के कई परिवार कदंबूर चले गए. और अब ये लोग बस चुनाव के समय अपना वोट डालने के लिए लौटते हैं. इस बस्ती तक पहुंचने के बाद पैदल लौटने में पूरा एक दिन लग जाता है. इसलिए, उम्मीदवार यहां जाने से कतराते हैं.
STR के बीचोंबीच स्थित नंदीपुरम की ही एक और आदिवासी बस्ती में 18 परिवारों के 70 लोग रहते हैं. पिछले स्थानीय निकाय चुनावों के प्रचार के लिए पहली बार यहां कुछ पार्टी नेता पहुंचे थे. ऐसे में इन लोगों के लिए अपने मुद्दे उठाना मुश्किल हो जाता है.
कुट्टइयुर, जो तमिलनाडु और कर्नाटक की सीमा पर स्थित है, पहुंचने के लिए कर्नाटक की सड़कों से होकर जाना पड़ता है. उधर कदिरिमलई पहुंचने के लिए नौ किलोमीटर लंबी सड़क, जो जंगल के बीच से जाती है, पर पैदल चलना पड़ता है. कदिरिमलई में आज तक कोई उम्मीदवार पहुंचा ही नहीं है.
जहां हर चुनाव के समय ज़िले के अधिकांश मतदाता प्रजातंत्र का उत्सव मनाते हैं, वहीं इन बस्तियों के क़रीब एक हज़ार निवासियों ने आज तक कोई चुनाव अभियान देखा ही नहीं है.