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दो मौतों के बाद आदिवासियों के विरोध से बना दबाव, खरगोन एसपी को हटाया गया

शिवराज चौहान ने कहा, “इस मामले में हमने पहले ही दो पुलिस अधिकारियों को निलंबित किया है. लेकिन इस पूरे मामले में निगरानी में चूक होने के कारण ज़िला एसपी को भी हटाने का फ़ैसला किया गया है.”

मध्य प्रदेश के बिस्टान में एक आदिवासी युवक की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी. इस मामले में मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने खरगोन ज़िले के पुलिस अधीक्षक को हटाने का ऐलान किया है. 

शिवराज चौहान ने कहा, “इस मामले में हमने पहले ही दो पुलिस अधिकारियों को निलंबित किया है. लेकिन इस पूरे मामले में निगरानी में चूक होने के कारण ज़िला एसपी को भी हटाने का फ़ैसला किया गया है.”

उन्होंने यह भी कहा कि इस पूरे मामले की न्यायिक जाँच की जा रही है. इस जाँच में जो भी तथ्य सामने आएँगे, उनके आधार पर आगे भी कार्रवाई की जाएगी. मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने इस मामले में पीड़ित को न्याय दिलाने का दावा भी किया है. 

उन्होंने नीमच ज़िले में एक आदिवासी युवक को ट्रक से बांध कर घसीटने के मामले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया.  उन्होंने ऐलान किया कि इस घटना में मारे गए कन्हैया के बच्चे के लालन-पालन और शिक्षा का ख़र्च सरकार उठाएगी. 

शिवराज चौहान की सरकार आदिवासी विरोध के दबाव में आई है

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि कन्हैया के दोनों भाइयों के मकान सरकार बना कर देगी. इसके साथ ही दो लाख रूपये इस परिवार को आर्थिक सहायता के तौर पर दिए जाएँगे. 

मध्य प्रदेश के खरगोन ज़िले में 35 साल के एक आदिवासी आदमी की पुलिस थाने में मौत के बाद तनाव की स्थित बनी हुई है.  चोरी के आरोप में गिरफ़्तार किए गए 35 साल के बिशन की मौत की ख़बर से इलाक़े के आदिवासियों का गुस्सा उमड़ पड़ा था और उन्होंने थाने में तोड़फोड़ की थी.

बिस्टान थाना क्षेत्र के झगड़ी घाट में हुई लूट के आरोप में पुलिस ने कछ दिन पहले खैरकुंडी गांव के 12 लोगों को गिरफ्तार किया था.

इन सभी को कोर्ट में पेश किया गया, जिसके बाद आठ को जेल भेज दिया गया, जबकि बिशन समेत चार लोगों को चार दिन के पुलिस रिमांड पर भेजा गया था.

पुलिस ने इस पूरे मामले में पहले लीपापोती करने का प्रयास किया था. पुलिस ने कहा था कि बिशन पहले से ही बीमार था. लेकिन जब उसके परिवार और उनके समुदाय के लोगों ने बिशप की मौत पर विरोध प्रदर्शन किया तो प्रशासन में हलचल हुई.

उसके बाद राज्य में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस और स्थानीय आदिवासी संगठनों ने भी इस मामले को उठाया था.

इस से पहले मध्यप्रदेश के नीमच में एक आदिवासी आदमी की ट्रक से घसीटकर हुई हत्या के बाद से ही राज्य के आदिवासियों में काफ़ी आक्रोश है. 

फ़िलहाल सरकार पर इन दोनों ही मामलों में दबाव बन रहा है. इन मामलों में कुछ फ़ौरी कार्रवाइयाँ भी हुई हैं. लेकिन इन आदिवासी परिवारों को अंततः इंसाफ़ मिल पाएगा, कम से कम सरकार इसका वादा तो कर रही है. 

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