HomeAdivasi Dailyतमिलनाडु: कोर्ट ने पूछा “आदिवासी अवैध शराब बनाने को क्यों मजबूर हैं”

तमिलनाडु: कोर्ट ने पूछा “आदिवासी अवैध शराब बनाने को क्यों मजबूर हैं”

पिछले दिनों कल्लाकुरिची ज़िले की कलवरायण पहाडियों में ज़हरीली शराब पीने के कारण कई लोगों की जान चली गई थी. इस मामले में मद्रास हाई कोर्ट ने इलाके में मूल सुविधाओं को लेकर सरकार से मांगी रिपोर्ट. पढ़िए क्यों

तमिलनाडु के कल्लाकुरिची ज़िले की कलवरायण पहाडियों में ज़हरीली शराब पीने से कम से कम 47 लोगों की मौत का मामला सामने आया था.

बुधवार को मद्रास हाई कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए सरकार को दो हफ्ते में कलवरायण पहाडियों में रहने वाले आदिवासियों की जीवन स्थिति और इलाके में उपलब्ध सुविधाओं पर एक विशेष रिपोर्ट तैयार करने का आदेश दिया है.

पहाडी क्षेत्र और इसके आस-पास के इलाकों में अवैध शराब बनाए जाने की रिपोर्ट मिलने पर जस्टिस एस एम सुब्रमणयम और सी कुमारप्पन की बेंच ने खुद इस मामले का संज्ञान लिया और सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को ये निर्देश दिया.

पीठ ने कहा कि उस क्षेत्र में बुनियादि सुविधाओं की कमी से जुड़ी कई मीडिया रिपोर्ट्स और डॉक्यूमेंट्री फिल्में मिलीं हैं.

इसलिए सरकार को यह साफ करना होगा कि क्या इस क्षेत्र के लोगों को सरकार की कल्याण योजनाओं का लाभ मिलता है.

कोर्ट ने कहा है कि क्योंकि इस इलाके के ज़्यादातर लोग आदिवासी समुदाय से हैं तो यह भी बताना होगा कि इन के विकास के लिए सरकार क्या विशेष कदम उठा रही है.

इससे पहले अदालत ने उन रिपोर्ट्स का हवाला दिया था जिनमें कहा गया था कि इस क्षेत्र की खराब आर्थिक स्थिति और बेरोज़गारी के कारण यहां के लोग अवैध शराब बनाने के लिए मजबूर हैं.

इस आदेश में कहा गया है कि जिस तरह चुनाव आयोग देश के दुर्गम क्षेत्रों में जाकर यह देखता है कि सभी अपने मताधिकार का प्रयोग करे, ठीक उसी तरह राज्य सरकार को भी यह सुनिश्चित करना होगा कि सुविधाएं और कल्याणकारी योजनाएं हर वर्ग के लोगों तक पहुंचे.

इस मामले की अगली सुनवाई इस रिपोर्ट के तैयार होने के बाद 24 जुलाई को होगी.

पिछली सुनवाई में क्या कहा गया था ?

तमिलनाडु सरकार ने ये ऐलान किया था कि इस मामले में पीडित परिवारों को दस लाख रुपये दिए जाएंगे.

इस आदेश को रद्द करने के लिए भी कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी. ये याचिका मोहम्मद गौस ने की थी.

इसके लिए तर्क देते हुए गौस ने कहा था कि पीड़ित स्वतंत्रता सेनानी या सामाजिक कार्यकर्ता नहीं थे, जिन्होंने आम जनता या समाज के लिए अपनी जान गंवाई और उन्होंने नकली शराब पीकर अवैध कार्य किया था.

गौस ने अवैध शराब पीने को एक अवैध कार्य बताया था और कहा था कि राज्य को ऐसे लोगों पर दया नहीं करनी चाहिए जिन्होंने अवैध शराब पी कर अपनी जान गंवा दी है. गौस ने कहा था कि क्षतिपूर्ति राशि दुर्घटना का शिकार हुए पीडितों को मिलनी चाहिए.

इस पर मुख्य न्यायाधीश आर महादेवन और न्यायमूर्ति मोहम्मद शफीक ने सुनवाई के दौरान यह कहकर सुनवाई को दो हफ्ते के लिए स्थगित कर दिया था कि मुआवज़े के तौर पर दी जा रही राशि बहुत ज़्यादा है.

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