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दुर्भावना और पूर्वाग्रह की घिनौनी कहानी, निर्दोष आदिवासी लड़के को 13 साल जेल में सड़ाया

चंद्रेश मार्सकोले को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने निर्दोष करार दिया. इसके साथ ही कोर्ट ने जो पाया और इस फ़ैसले में जो कहा वो पूरे समाज को हिला कर रख दे. इस पूरे मामले में पुलिस ने चंद्रेश को फँसाया था. जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस सुनीता यादव की पीठ ने बुधवार को हत्या के मामले में मार्सकोले की सजा को निरस्त कर दिया.

एक आदिवासी लड़का जो आज एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा था, उसके पिछले 13 साल जेल में बीत गए. वह निर्दोष था लेकिन इस दौरान उसने हत्यारा होने का कलंक झेला. लेकिन अंततः देर से ही सही उसे इंसाफ़ मिला. 

चंद्रेश मार्सकोले को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने निर्दोष करार दिया. इसके साथ ही कोर्ट ने जो पाया और इस फ़ैसले में जो कहा वो पूरे समाज को हिला कर रख दे. इस पूरे मामले में पुलिस ने चंद्रेश को फँसाया था. जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस सुनीता यादव की पीठ ने बुधवार को हत्या के मामले में मार्सकोले की सजा को निरस्त कर दिया. 

इसके साथ ही निचली अदालत के 2009 के फैसले के खिलाफ उनकी अपील का निपटारा हो गया. पीठ ने कहा, ‘याचिकाकर्ता को तुरंत रिहा किया जाएगा.

पुलिस अगर किसी को फंसाना चाहे तो उसका क्या हाल कर सकती है, यह खबर उसी की एक मिसाल है. पुलिस की वजह से एक निर्दोष MBBS छात्र हत्या के जुर्म में 13 साल जेल रहा. 

लेकिन उसने न्याय की आस नहीं छोड़ी और जेल से ही अपना केस लड़ता रहा. आखिर 13 साल बाद उसे इंसाफ मिला और कोर्ट ने उसे बाइज्जत बरी कर दिया. लेकिन पुलिस की वजह से उसके मूल्यवान 13 साल बर्बाद चले गए.

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक महिला की कथित हत्या के मामले में एक MBBS छात्र के ख़िलाफ़ लगाए गये आरोपों को ख़ारिज कर दिया. अदालत ने साथ ही पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि उसने मामले की जांच ‘व्यक्ति को झूठे तरीके से फंसाने के एकमात्र उद्देश्य’ से की थी. 

अदालत ने राज्य सरकार से कहा कि वह संबंधित व्यक्ति को 42 लाख रुपये का मुआवजा दे क्योंकि उसे ‘न्याय के इंतजार’ में अपने जीवन के 13 साल सलाखों के पीछे बिताने पड़े. अदालत ने कहा कि यह मामला ‘दुर्भावना और पूर्वाग्रह से प्रेरित जांच की घिनौनी’ कहानी कहता है.

हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि व्यक्ति की दोषसिद्धि और कैद ने उसके पूरे जीवन को ‘अस्त-व्यस्त’ कर दिया. आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले चंद्रेश मार्सकोले को कथित हत्या के सिलसिले में 2008 में गिरफ्तार किया गया था.

उस समय वह भोपाल स्थित गांधी मेडिकल कॉलेज में MBBS कर रहे थे और अंतिम वर्ष के छात्र थे. उन पर राज्य के पचमढ़ी में अपनी प्रेमिका की हत्या करने और उसके शव को ठिकाने लगाने का आरोप था. उस वक्त उनकी उम्र 21 साल थी, अब चंद्रेश की उम्र करीब 34 साल हो चुकी है.

कोर्ट के आदेश में कहा गया है, ‘तथ्य यह है कि याचिकाकर्ता ने न्याय की प्रतीक्षा में 13 साल से अधिक समय बिताया है और इस मामले में हम मार्सकोले को 42 लाख रुपये का मुआवजा देते हैं, जिसका भुगतान राज्य आदेश की तारीख से 90 दिनों के भीतर करेगा. इसके बाद, भुगतान की तारीख तक नौ प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज लगेगा.

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