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ममता बनर्जी के तीन आदिवासी मंत्री, तीनों महिलाएँ हैं, कैबिनेट में एक भी नहीं

विधान सभा चुनाव में जंगल महल के झारग्राम, पुरूलिया, पश्चिमी मिदनापुर, बांकुड़ा और बिशनुपुर ज़िलों की कुल 40 सीटों में से तृणमूल कांग्रेस ने 25 सीटें जीती हैं. आदिवासियों ने ममता को फिर से सत्ता में पहुँचने में बड़ी मदद की है.

पश्चिम बेगाल के पुरूलिया की मनबाज़ार विधान सभा सीट से लगातार तीसरी बार जीती संध्या रानी टुडु (Sandhyarani Tudu) को ममता बनर्जी मंत्रीमंडल में जगह मिली है. उनके अलावा बीरभा हंसदा (Birbaha Hansda)और ज्योत्सना माँडी (Jyotsna Mandi) को भी मंत्री बनाया गया है. 

संध्या रानी टुडु 2011, 2016 और 2021 में लगातार मनबाज़ार विधान सभा क्षेत्र से जीत कर विधान सभा पहुँच हैं. हालाँकि संध्या रानी को अभी भी कैबिनेट रैंक नहीं दिया गया है. लेकिन वो स्वतंत्र प्रभार की राज्य मंत्री होंगी. 

2019 के लोकसभा चुनाव में पुरूलिया लोकसभा सीट पर तृणमूल कांग्रेस को मनबाज़ार विधानसभा सीट से सबसे अधिक वोट मिले थे. इस बार यानि 2021 के विधान सभा चुनाव में पुरूलिया की पाँचों विधानसभा सीटें तृणमूल कांग्रेस ने जीती हैं.

संध्या रानी टुडु (बीच में)

बीरभा हंसदा और ज्योत्सना मंडी को ममता बनर्जी ने राज्य मंत्री बनाया है. यानि ममता बनर्जी के मंत्री मंडल में 3 आदिवासी नेताओं को जगह मिली है. लेकिन किसी को भी कैबिनेट रैंक नहीं दिया गया है. 

बीरभा हंसदा की पश्चिम बंगाल विधान सभा में जीत की काफ़ी चर्चा रही है. इनकी जीत की चर्चा में सबसे बड़ी वजह दो बताई जाती हैं. पहली यह कि उन्हें तृणमूल कांग्रेस ने प्रशांत किशोर की सलाह पर एकदम अंतिम समय में चुनाव मैदान में उतारा था.

दूसरी वजह ये है कि वो झारग्राम शहरी सीट से बीजेपी के उम्मीदवार को हराने में कामयाब रहीं. बीरभा हंसदा संताल आदिवासी समुदाय से आती हैं. इसके अलावा बीरभा संताली फ़िल्मों की नायिका भी हैं. 

बीरभा हंसदा संताली फ़िल्मों की अभिनेत्री भी हैं

ज्योत्सना मंडी बांकुडा ज़िले की अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट रानीबंध से चुनाव जीती हैं. इससे पहले भी वो इस सीट से जीत चुकी हैं.

ज्योत्सना मंडी को भी ममता बनर्जी के मंत्रीमंडल में जगह मिली है

इस बार के विधान सभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को आदिवासी क्षेत्रों से काफ़ी सफलता मिली. आदिवासी बहुल जंगलमहल के नाम से जाने जाना वाले इलाक़े में 2019 में बीजेपी को ज़बरदस्त कामयाबी मिली थी. यहाँ की 6 में से 5 लोकसभा सीट बीजेपी ने जीत ली थीं.

लेकिन विधान सभा चुनाव में जंगल महल के झारग्राम, पुरूलिया, पश्चिमी मिदनापुर, बांकुड़ा और बिशनुपुर ज़िलों की कुल 40 सीटों में से तृणमूल कांग्रेस ने 25 सीटें जीती हैं.

इन इलाक़ों में तृममूल कांग्रेस की वापसी की कई वजह बताई जाती हैं. लेकिन इस इलाक़े में संताल आदिवासियों का समर्थन तृणमूल कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा फ़ैक्टर कहा जा सकता है. 

यहाँ की कुल आदिवासी आबादी का आधे से ज़्यादा संताल आदिवासियों का है. संताल आदिवासियों में अपनी अलग धार्मिक पहचान को लेकर एक बेचैनी देखी जा सकती है. 

आदिवासियों के लिए अलग सरना धर्म की माँग के समर्थन में इन इलाक़ों में बड़ी सभाएँ हुई हैं. शायद इसलिए ही इस बार जंगल महल के इलाक़े में बीजेपी का हिंदूत्व की राजनीति को सफलता नहीं मिली है. 

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