त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद (TTAADC), जिसमें राज्य का दो-तिहाई हिस्सा शामिल है, अब अपना पुलिस बल बढ़ाने की योजना बना रही है. टीटीएडीसी को ‘मिनी स्टेट असेंबली’ भी कहा जाता है. मौजूदा समय में त्रिपुरा के करीब 70 फीसदी भूमि क्षेत्र का प्रशासन संभालने की जिम्मेदारी है.
आदिवासी परिषद के अध्यक्ष जगदीश देबबर्मा ने कहा कि एडीसी पुलिस विधेयक पारित होने से पहले टीटीएएडीसी के एक या अधिक सत्रों में कम से कम 10 दिनों तक चर्चा होनी चाहिए.
1994 में कांग्रेस-टीयूजेएस नियंत्रित एडीसी ने अपने पुलिस बल को बढ़ाने के लिए परिषद में एक प्रस्ताव पारित किया था और प्रस्ताव राज्यपाल को उनकी मंजूरी के लिए भेजा गया था.
2007 में मिली मंजूरी, लेकिन लागू नहीं हो सका
जगदीश देबबर्मा ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि राज्यपाल ने 2007 में विधेयक को मंजूरी दी थी, लेकिन कुछ तकनीकी कारणों से इसे लागू नहीं किया जा सका.
बुजुर्ग आदिवासी नेता ने कहा, “विस्तृत चर्चा के बाद आदिवासी परिषद कानून तैयार करेगी, जिसे परिषद में पारित किया जाना चाहिए. एक बार नियम बन जाने और पारित हो जाने के बाद, एडीसी पुलिसकर्मियों की भर्ती करने में सक्षम होगा.”
देबबर्मा ने यह भी दावा किया कि टीटीएएडीसी क्षेत्रों में आदिवासी आबादी अपने गठन के समय की तुलना में घट रही है. देबबर्मा ने कहा, “1985 में TTAADC के गठन के दौरान कुल आदिवासी आबादी 88 फीसदी थी और अब यह घटकर 84 फीसदी हो गई है. दूसरी ओर एडीसी क्षेत्रों में गैर-आदिवासी आबादी 14 फीसदी से बढ़कर 16 फीसदी हो गई है.”
उन्होंने कहा कि आदिवासी परिषद क्षेत्रों के बाहर से लोगों के अनियंत्रित प्रवास के कारण आदिवासी आबादी को कई ख़तरों का सामना करना पड़ रहा है.
TIPRA का आदिवासी परिषद में दबदबा
तिप्राहा स्वदेशी प्रगतिशील क्षेत्रीय गठबंधन (Tipraha Indigenous Progressive Regional Alliance, TIPRA) ने इस साल अप्रैल में त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद (टीटीएएडीसी) के चुनावों में 28 में से 18 सीटों पर जीत हासिल की. 30 सदस्यीय आदिवासी परिषद में 28 सीटों पर चुनाव हुए थे. बाकी 2 सीटों के लिए प्रतिनिधि राज्य सरकार की सलाह पर राज्यपाल द्वारा मनोनीत किए जाते हैं.
गृह राज्य मंत्री ने आज राज्यसभा को सूचित किया कि टीटीएएडीसी क्षेत्र आदिवासियों का घर है, जो राज्य की अनुमानित 40 लाख आबादी का एक तिहाई हिस्सा हैं. केंद्र ने आपराधिक कानूनों में सुधार का सुझाव देने के लिए पैनल का गठन किया है.
1985 में स्थापित त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद (टीटीएडीसी) को संविधान की छठी अनुसूची के तहत कार्यकारी और विधायी शक्तियां दी गईं. जिसका उद्देश्य जनजातीय क्षेत्रों को आंतरिक स्वायत्तता देना और लोगों को सामाजिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक सुरक्षा प्रदान करना था.
टीटीएडीसी, जिसे ‘मिनी स्टेट असेंबली’ भी कहा जाता है, मौजूदा समय में त्रिपुरा के करीब 70 फीसदी भूमि क्षेत्र का प्रशासन संभालने की जिम्मेदारी है.