ओडिशा के जेपोर ज़िले के बोरीगुम्मा प्रखंड के पदपदार गांव से हाल ही में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है. एक आदिवासी आदमी, जो दो साल से लापता है, और जिसे समुदाय ने मृत मान लिया था, वह अचानक से वापस आ गया.
49 साल के घासी अमानत्य, जो एक दिहाड़ी मज़दूर थे, पिछले दो साल से अपने घर नहीं लौटे थे. उनकी पत्नी 45 साल की सुबरना गांव के दूसरे घरों में काम करती थीं. दोनों की शादी 25 साल पहले आदिवासी रीति-रिवाज़ों के साथ हुई थी.
घासी के गांव लौटने के बाद दोनों की गुरुवार को इलाक़े के शिव मंदिर में परिवार और समुदाय के सदस्यों की मौजूदगी में फिर से शादी कराई गई.
2020 में, घासी अपने गांव के कुछ दूसरे लोगों के साथ प्रवासी मज़दूर के रूप में काम करने के लिए तिरुपति के लिए रवाना हुए थे. लेकिन यात्रा के दौरान वो लापता हो गए.
उनके साथ गए लोगों ने उनका पता लगाने की कोशिश, लेकिन उनके हाथ सफ़लता नहीं लगी. आठ महीने तक जब उसकी कोई ख़बर नहीं मिली, तो उन्होंने घासी के परिवार को उशक लापता होने की सूचना दी.
सुबरना ने भी उसे मृत मानकर ग्रामीणों के साथ उसका अंतिम संस्कार कर दिया. उसके शव की अनुपस्थिति में घासी का पुतला जलाया गया.
घासी अब एक महीने पहले लौटा गांव लौटा है, और उसने दावा किया कि रास्ता भटकने और लापता होने के बाद उसने इतने सामय बेंगलुरु के एक खेत में काम किया.
हालाँकि, घासी के परिवार और समुदाय के सदस्यों ने उन्हें अपनी पत्नी के साथ रहने की अनुमति नहीं दी, क्योंकि वह सब पहले से ही उसे मृत घोषित कर चुके थे, और दिया गया था और सुबरना एक विधवा का जीवन जी रही थी.
लेकिन काफी सोच-विचार के बाद ग्रामीणों ने यह तय किया कि घासी सुबरना से दोबारा शादी करके और ‘मृत’ स्थिति से छुटकारा पाने के बाद सामान्य जीवन जी सकता है.
इस फ़ैसले के बाद दोनों की फिर से आदिवासी रीति-रिवाज़ों के अनुसार शादी करा दी गई.
“हमने बहुत भारी मन से घासी का अंतिम संस्कार किया था. भगवान की कृपा से वह ज़िंदा है और हमने अपने आदिवासी रीति-रिवाजों के अनुसार उसकी पत्नी के साथ दोबारा शादी की,” घासी के परिवार के सदस्यों ने मीडिया को बताया
अपनी खुशी बयान करते हुए सुबरना ने कहा, “मुझे खुशी है कि मैं अब अपने पति के साथ पहले जैसे ही खुशी से रह सकती हूं.”
(तस्वीर न्यू इंडियन एक्सप्रेस से ली गई है.)