HomeAdivasi Dailyआदिवासी छात्र स्कूल खुलने को लेकर उत्साहित, डिजिटल डिवाइड अब होगा ख़त्म

आदिवासी छात्र स्कूल खुलने को लेकर उत्साहित, डिजिटल डिवाइड अब होगा ख़त्म

सभी एमआरएस छात्र महामारी की वजह से स्कूलों के बंद होने के बाद 20 महीने से ज़्यादा समय से अपनी आदिवासी बस्तियों तक ही सीमित रहे. बस्तियों में रहते हुए कई छात्रों के पास ऑनलाइन शिक्षा तक पहुंचना संभव नहीं था.

आज, यानि एक नवंबर से केरल में सभी स्कूल फिर से खोले जा रहे हैं. और स्कूल खुलने की सबसे ज़्यादा खुशी शायद ग्रामीण इलाक़ों में रहने वाले आदिवासी छात्रों को है. स्कूल जाने में उनके उत्साह की वजह यह है  कि अब वो डिजिटल डिवाइड का शिकार नहीं होंगे.

शिक्षकों और शिक्षा विभाग के अधिकारियों का भी मानना है कि छात्रों की खुशी की वजह यही है कि अब तक ज़्यादातर आदिवासी छात्र अलग-अलग वजहों से ऑनलाइन शिक्षा से दूर रहे थे. इसके अलावा, कई आदिवासी छात्र, जो मॉडल आवासीय विद्यालयों (एमआरएस) में पढ़ते हैं, वो भी सोमवार से हॉस्टल लौट सकते हैं, जहां उन्हें बेहतर आवास और भोजन मिलेगा, और पढ़ाई में सुविधा होगी.

ये सभी एमआरएस छात्र महामारी की वजह से स्कूलों के बंद होने के बाद 20 महीने से ज़्यादा समय से अपनी आदिवासी बस्तियों तक ही सीमित रहे. बस्तियों में रहते हुए कई छात्रों के पास ऑनलाइन शिक्षा तक पहुंचना संभव नहीं था.

भले ही राज्य सरकार फ़िलहाल हाइब्रिड मोड में शिक्षा जारी रखने की योजना बना रही है, लेकिन छात्रों और शिक्षकों दोनों को लगता है कि आदिवासी इलाक़ों में स्कूल फिर से खोलना ही आदर्श समाधान है. ज़्यादातर शिक्षक आदिवासी बस्तियों के स्कूलों और Multi-Grade Learning Centres (MGLC)  में पहले ही पहुंच चुके हैं.

यहां सड़क मार्ग से पहुंचना मुश्किल है, तो कुछ समय पहले पहुंचने से व्यवस्था करने में आसानी होती है. आदिवासी छात्रों की पढ़ने की उत्सुकता ऐसी है कि उन्होंने स्कूल खोलने की तैयारी में अधिकारियों की मदद करने का ऑफ़र दिया, लेकिन शिक्षकों को कोविड प्रतिबंधों की वजह से मना करना पड़ा.

“ज्यादातर आदिवासी छात्र, विशेष रूप से आदिवासी बस्तियों में रहने वाले, स्कूल वापस जाने का इंतज़ार कर रहे हैं. अकेले एर्णाकुलम ज़िले में, लगभग 700 छात्र, जो ज्यादातर कोदमंगलम, पिनवूरकुडी और मामलकंडम से हैं, अलग अलग MRS में पढ़ रहे हैं. पिछले 20 महीनों में उनके लिए डिजिटल डिवाइड को पार कर अपनी पढ़ाई जारी रखना एक बड़ी चुनौती थी. अब पढ़ाई के साथ-साथ स्कूल आने के पीछे एक और वजह है वहां उन्हें मिलने वाला पौष्टिक भोजन. आदिवासी छात्रों के लिए ऑफ़लाइन शिक्षा ज़्यादा सहज है,” एर्णाकुलम के शिक्षा उप निदेशक हनी जी अलेक्जेंडर ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया को बताया.

इसके अलावा स्कूल में मिलने वाली खेल-कूद की सुविधाएं भी आदिवासी छात्रों को स्कूल की ओर वापस खींच रही हैं. महामारी के शुरु होने के बाद से ही यह सभी गतिविधियाँ बंद पड़ी हैं, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि स्कूल खुलने के बाद यह सब फिर से शुरु हो जाएगा.

राज्य में सामान्य शिक्षा के प्रमुख सचिव एपीएम मोहम्मद हनीश ने बताया कि शिक्षा विभाग ने जिला कलेक्टरों को निर्देश दिया है कि वे आदिवासी इलाक़ों के स्कूलों को स्टाफ़ और संसाधनों के मामले में अतिरिक्त सहायता प्रदान करें, क्योंकि हाल ही में हुई भारी बारिश और बाढ़ से कई स्कूल प्रभावित हुए थे.

स्कूल अधिकारियों ने पीटीए, नगर निकायों और शुभचिंतकों की मदद से स्कूल फिर से खोलने से पहले बुनियादी ढांचे को तैयार कर लिया है.

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