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ओडिशा: आदिवासी छात्रों को मिड-डे मील की जगह चावल की बोरी, उसके लिए भी खुद ही 20 किमी पैदल चले

स्कूल से चावल लेने गए अधिकांश छात्र-छात्राओं के पैर में चप्पल जूता नहीं था. ऐसे में जंगली रास्ते में चलना कितना कष्टदायक होगा यह आसानी से अनुमान लगाया जा सकता है. चावल लेकर लौट रहे थके हारे छात्रों को रास्ते में बैठकर आराम फरमाते भी देखा गया.

कोरोना महामारी के चलते मध्यान्ह भोजन के बदले स्कूल में छात्रों को चावल दिया जा रहा है. ऐसे में चावल को लेने के लिए छात्र-छात्राओं को 20 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ रहा है. यह दृश्य ओडिशा के जाजपुर जिले में देखने को मिला है.

जिले के नगाड़ा से 10 किलोमीटर दूर सातकुलिया पहाड़ के नीचे मौजूद देवगां प्राथमिक विद्यालय से बच्चों को सिर पर चावल रखकर अपने गांव लौटते देखा गया है. छात्र पैदल चलकर 10 किलोमीटर गए और फिर पैदल ही सिर पर चावल रखकर वापस 10 किलोमीटर लौटे.

दरअसल नगाड़ा गांव में एक प्राथमिक विद्यालय है जहां छात्र पांचवीं कक्षा तक पढ़ सकते हैं. छठवीं से आठवीं कक्षा तक पढ़ाई करने के लिए छात्रों को देवगांव उच्च प्राथमिक विद्यालय में नामांकित किया जाता है जो नगाड़ा से लगभग 10 किमी दूर है. वहीं तुमुड़ी में स्कूल ना होने से यहां के बच्चों को पहली कक्षा से देवगांव स्कूल में नाम लिखाना पड़ता है.

इस स्कूल में करीब 53 आदिवासी छात्र हैं और इनमें से 16 नगाड़ा के हैं, 9 गुहियासाल के हैं और 28 तुमिड़ी के हैं.

देवगांव स्कूल में पढ़ रही एक छात्रा के अभिभावक कांद्रा प्रधान ने कहा, “हमारा घर स्कूल से 10 किमी दूर हैं. मेरी बेटी अपना दिन सुबह 7 बजे शुरू करती है और शाम 4 बजे घर लौटती है. उसके सिर पर चावल का थैला होता है. मेरा छोटा बच्चा बिना किसी जूते के पैदल 20 किमी (आने-जाने) की दूरी तय करता है.”

28 अक्टूबर को, द न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने पहली बार एक ही स्कूल के 30 से अधिक छात्रों को सिर पर चावल के भारी बैग के साथ चलते हुए देखा.

जिला शिक्षा अधिकारी रंजन कुमार गिरि ने कहा कि कोविड की चपेट में आने के बाद सरकार ने उन्हें मध्याह्न भोजन के बदले छात्रों को चावल बांटने का निर्देश दिया है. उन्होंने कहा, “सरकार की ओर से छात्रों को चावल उपलब्ध कराने का निर्देश है क्योंकि कोविड महामारी के मद्देनजर स्कूलों में मध्याह्न भोजन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.”

अधिकारी ने बताया कि, “सरकार ने छात्र या उनके अभिभावक को चावल लेने के लिए स्कूल आने के लिए कहा है क्योंकि होम डिलीवरी का कोई प्रावधान नहीं है.”

हालांकि उन्होंने कहा कि देवगांव स्कूल के छात्रों के मामले में वह आने वाले दिनों में उनके गांव के स्कूल से छात्रों को चावल की आपूर्ति करने का प्रयास करेंगे.

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