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ओडिशा: विकास के दावों को झुठलाता एक और आदिवासी गांव जहां न है पीने का पानी, न बाहरी दुनिया से सड़क संपर्क

राज्य के दूरदराज़ के और हर कोने में बेहतरीन सड़क संपर्क देने के सरकार के दावों को नकारने वाली एक चार किलोमीटर सड़क है जो इस गांव तक पहुंचती है. लेकिन उस सड़क की हालत ऐसी है कि गाड़िया तो छोड़िए, उसपर पैदल चलना भी ख़तरे से खाली नहीं है.

ओडिशा सरकार राज्य की आदिवासी आबादी के संपूर्ण विकास के लिए कई योजनाए चलाती तो है, लेकिन इनका फ़ायदा ज़मीन पर कम से कम हर जगह तो नहीं दिख रहा. सरकार के विकास के दावों को झुठलाने के लिए दूरदराज़ की कई आदिवासी बस्तियां हैं, जहां बुनियादी सुविधाएं भी नहीं हैं.

राज्य के गजपति ज़िले के मोहना प्रखंड के तहत अंतराबा पंचायत का गुरीगुड़ा गांव इसी अभाव और उदासीनता का एक उदाहरण है.

इस गाँव में लगभग 48 आदिवासी परिवार रहते हैं. पक्की सड़क के अभाव में गांव बाकी दुनिया से पूरी तरह से कटा हुआ है, और पेयजल की आपूर्ति और संचार नेटवर्क तो इन गांववालों के लिए एक सपने जैसा है.

राज्य के दूरदराज़ के और हर कोने में बेहतरीन सड़क संपर्क देने के सरकार के दावों को नकारने वाली एक चार किलोमीटर सड़क है जो इस गांव तक पहुंचती है. लेकिन उस सड़क की हालत ऐसी है कि गाड़िया तो छोड़िए, उसपर पैदल चलना भी ख़तरे से खाली नहीं है.

“बाहरी दुनिया के साथ किसी भी तरह के संपर्क के लिए हमें अपने गाँव से बाहर जाना होता है, उसके लिए चार किलोमीटर लंबी घाट सड़क पार करनी पड़ती है. यह सड़क बेहद खतरनाक स्थिति में है और इसपर चलना जान के लिए ख़तरा ही है,” एक ग्रामीण सैमुअल बदरैता ने ओडिशा टीवी को बताया.

उन्होंने कहा, “मेडिकल एमरजेंसी में भी एम्बुलेंस हमारे गांव तक नहीं पहुंच पाती है और इससे मरीज़ों को समय पर ज़रूरी चिकित्सा नहीं मिल पाती.”

हालांकि सीएफसीए (CFCA) योजना के तहत 2019-20 में इस सड़क के कुछ मीटर लंबे हिस्से की मरम्मत की गई है, लेकिन बाकी का हिस्सा अभी भी उबड़-खाबड़ और जर्जर हालात में है. ग्रामीण लंबे समय से प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत सड़क के निर्माण की मांग कर रहे हैं.

जहां तक पेयजल की बात है, तो ग्रामीणों के पास ट्यूबवेल तक नहीं है, और एक सोलर वॉटर लिफ्टिंग प्रोजेक्ट ही उनके लिए पीने योग्य पानी का एकमात्र स्रोत है. लेकिन यह सुविधा भी लंबे समय से निष्क्रिय पड़ी है और त्याग दी गई है.

इन हालात में इन आदिवनासी परिवारों को गांव से आधा किलोमीटर से भी ज़्यादा दूर स्थित एक कुएं से पानी भरने के लिए जाना पड़ता है. बरसात के मौसम में, जर्जर और खतरनाक सड़क को पार करके कुएं से पानी लाना बेहद मुश्किल हो जाता है.

गांव के लोगों का कहना है कि उन्होंने समय-समय पर अधिकारियों को अपनी मुश्किलों से अवगत कराया है, लेकिन इसका कोई असर देखने को नहीं मिला है.

गांववालों की मुश्किलों के बारे में जानने के बाद मोहना के बीडीओ (Block Development Officer) सार्थक सौरभ महापात्रा ने कहा कि वह इस मामले की जांच करेंगे, और जल्द ही उचित कदम उठाएंगे.

महापात्रा ने कहा कि फील्ड रिपोर्ट मिलने के बाद, वो सड़क की मरम्मत और इस के गांव में पेयजल सुविधा स्थापित करने के लिए एक योजना जल्द तैयार की जाएगी.

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