HomeAdivasi Dailyछत्तीसगढ़: नक्सल प्रभावित अबूझमाड़ के आदिवासियों को मिलेगी 4G सुविधा

छत्तीसगढ़: नक्सल प्रभावित अबूझमाड़ के आदिवासियों को मिलेगी 4G सुविधा

इस बात में कोई दो राय नहीं है कि अबूझमाड़ के इलाक़े में इंटरनेट की पहुँच बढ़ने से फ़ायदा होगा. लेकिन यह एक और सच्चाई की तरफ़ इशारा करता है. कड़वी सच्चाई है कि अभी तक बस्तर के बड़े इलाक़े में इंटरनेट नहीं पहुँचा है. पिछले लगभग तीन सालों में इस वजह से हज़ारों बच्चों की पढ़ाई हमेशा के लिए छूट गई है. क्योंकि वो ऑनलाइन क्लास नहीं कर सकते थे. वैसे यह सच्चाई सिर्फ़ बस्तर की नहीं है.

छत्तीसगढ़ के नारायणपुर ज़िले में नक्सल प्रभावित अबुझमाड़ के आदिवासियों को अब 4जी इंटरनेट सुविधा मिलेगी. अबूझमाड़ के आदिवासी, जो पहले इंटरनेट का इस्तेमाल करने के लिए 3 से 4 किलोमीटर की यात्रा करते थे, अब टावर लगाए जाने के बाद 4जी नेटवर्क सुविधा का लाभ उठा रहे हैं.

नक्सल प्रभावित इलाके में लोगों को नेटवर्क पाने और फोन पर बात करने में सक्षम होने के लिए पेड़ों पर चढ़ना पड़ता है. लेकिन अबूझमाड़ में अब परिस्थितियां बदल गई हैं क्योंकि आज इस क्षेत्र में इंटरनेट 4जी स्पीड से चल रहा है. अब 4जी नेटवर्क के जरिए गूगल और यूट्यूब से देश और दुनिया की जानकारी लेकर क्षेत्र के बच्चे खुद को अपग्रेड कर रहे हैं.

अकाबेड़ा के विवेकानंद विद्या मंदिर के प्रिंसिपल चंद्रध्वज पात्रा ने बताया, “4जी नेटवर्क के आने से स्थिति अच्छी हो गई है. पहले हमारे पास इंटरनेट नहीं था और हमें घाटी में जाकर बात करनी पड़ती थी. 4जी नेटवर्क के आने के बाद स्थिति में काफी सुधार हुआ है. पहले हम छात्रों को इंटरनेट पर वीडियो दिखाकर नहीं पढ़ा सकते थे लेकिन अब हम उन्हें यूट्यूब पर शैक्षिक वीडियो दिखा सकते हैं.”

उसी गाँव के रहने वाले राजकुमार नेताम ने कहा, “पहले इंटरनेट का उपयोग करना काफी मुश्किल था. कोई भी शख्स दो-तीन किलोमीटर की यात्रा करके ही इंटरनेट का उपयोग कर सकता था. लेकिन अब हम व्हाट्सएप पर वीडियो डाउनलोड और देख सकते हैं.”

नारायणपुर कलेक्टर ऋतुराज रघुवंशी ने कहा, “अजुबबमढ़, सोनपुर और अन्य क्षेत्रों में अब तक कोई इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं थी. हमने टावर लगाए हैं और उन्हें इंटरनेट सेवाएं प्रदान कर रहे हैं. बहुत जल्द पूरे ज़िले को इंटरनेट के माध्यम से जोड़ा जाएगा.”

अबूझमाड़ में आदिवासी अथवा में ज़िंदगी जीता है

पुलिस अधीक्षक सदानंद कुमार ने कहा, “नारायणपुर से ओरछा तक नेटवर्क और इंटरनेट की समस्या थी. हमने इन क्षेत्रों में इंटरनेट सेवाएं शुरू करने के लिए टावर लगाए हैं. इससे लोगों को ऑनलाइन पढ़ाई और ऑनलाइन लेनदेन में मदद मिलेगी. हम अब इन सेवाओं को अन्य गांवों में विस्तारित करने की योजना बना रहे हैं.”

उन्होंने आगे कहा, “इंटरनेट की मदद से मौद्रिक लेनदेन आसान हो गया है. पहले इसके लिए 30-35 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता था. इन क्षेत्रों में रहने वाले पुलिस कर्मी भी इन सुविधाओं से वंचित थे. अब वे अपने परिवार के सदस्यों से बात कर सकते हैं और अपने परिवारों को पैसे भेज सकते हैं.”

वहीं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोमवार को कहा कि “विश्वास, विकास और सुरक्षा” की त्रिस्तरीय रणनीति ने राज्य में नक्सलवाद को प्रभावी ढंग से रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा इस वर्ष जून माह में अबूझमाड़ क्षेत्र के किसानों को सोलर इरीगेशन पंप के माध्यम से सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के निर्देश जिला प्रशासन नारायणपुर द्वारा तेज़ी से क्रियान्वित किए जा रहे हैं.

इस क्षेत्र के मासाहती खसरा (Masahati Khasra) प्राप्त करने वाले किसानों के खेतों में निरंतर बोर खनन सुनिश्चित करने के लिए चार मशीनों को लगाया गया था. अब तक इस क्षेत्र के 20 किसानों के खेतों में सोलर पंप लगाने के लिए बोर माइनिंग का काम पूरा हो चुका है और यहां क्रेडा द्वारा सोलर सिंचाई पंप लगाए जा रहे हैं.

सीएम बघेल ने भेंट-मुलकात कार्यक्रम (Bhent-Mulaqat programme) के तहत अबूझमाड़ क्षेत्र के अपने दौरे के दौरान जिला प्रशासन नारायणपुर को इस क्षेत्र के अधिक से अधिक किसानों को सौर सिंचाई पंपों के माध्यम से सिंचाई सुविधा प्रदान करने का निर्देश दिया था.

मुख्यमंत्री कार्यालय ने कहा, “अबुझमाड़ में किसानों की तीन पीढ़ियाँ एक ही दर्द और संघर्ष से गुज़री हैं क्योंकि इस क्षेत्र में भूमि का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं था. उनकी कृषि पद्धतियाँ मौसम की दया पर निर्भर थीं. खेतों में सिंचाई की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं थी क्योंकि किसानों के पास सिंचाई पंप नहीं थे.”

“लेकिन अब जब किसानों को पट्टा मिल गया है तो जल्द ही उनके खेतों में सोलर पंप लगाए जाएंगे. मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रशासन ने अबूझमाड़ सर्वे के तहत किसानों के खेतों में सिंचाई के लिए बोरवेल खोदने के काम में तेज़ी लाई है. राज्य सरकार द्वारा अबूझमाड़ सर्वे-मसाहती खसरा प्राप्त करने वाले किसानों को सौर सुजला योजना से जोड़ा जा रहा है. और अब यहां के किसान दो फसल लेकर और मौसम पर निर्भरता को खत्म कर खेती से अच्छा मुनाफा कमा सकेंगे.”

सरकारी दावे में छुपी कड़वी सच्चाई

छत्तीसगढ़ का बस्तर माओवाद प्रभावित इलाक़ा है. इस वजह से यहाँ पर सुरक्षाबलों और माओवादियों के बीच में हथियारबंद संघर्ष चलता है. MBB की टीम को बस्तर के माओवादी प्रभावित इलाक़ों में कई दिन बिताने का मौक़ा मिला है.

इस दौरान हमने यह पाया कि यह इलाक़ा सामान्य सुविधाओं से भी वंचित है. मसलन हमने यह पाया कि इस इलाक़े में अभी भी लोग अपने परिवार में बीमार लोगों और बच्चों को ओझा या झोला छाप डॉक्टरों के पास ही ले जाते हैं.

सड़कों की कमी की वजह से इस इलाक़े के कई गाँव बाक़ी दुनिया से कटे रहते हैं. बरसात के मौसम में तो हालात ऐसे बन जाते हैं कि यह इलाक़ा एक अलग टापू में बदल जाता है. अबूझमाड़ का इलाक़ा काफ़ी दुर्गम है इसलिए यहाँ पर अधिकार, स्वास्थ्यकर्मी या अध्यापक जाने में आनाकानी करते हैं.

इन इलाक़ों में पढ़ाई लिखाई हमेशा एक बड़ी चुनौती रही है. लेकिन कोविड महामारी के दौरान इस इलाक़े में पढ़ाई का भारी नुक़सान हुआ है. हमारी कई ऐसे परिवारों से हुई जिनके बच्चों की पढ़ाई हमेशा के लिए छूट गई है.

10 फ़रवरी 2021 को इकनोमिक टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि आदिवासी इलाक़ों में सिर्फ़ 18 प्रतिशत छात्रों को ही इंटरनेट की सुविधा हासिल है. अगर ये आँकड़े सच्चाई के थोड़े भी क़रीब हैं तो अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि लॉक डाउन और कोविड महामारी के दौरान बस्तर के माओवादी प्रभावित इलाक़ों में पढ़ाई कैसी रही होगी.

सरकार ने मोबाइल कनेक्टिविटी के बारे में जो दावे किये हैं उसके साथ ही यह कड़वी सच्चाई भी साबित हो गई है कि इन इलाक़ों में अभी तक मोबाइल कनेक्टिविटी एक बड़ी चुनौती थी. उम्मीद है कि सरकार ने जो इंटरनेट की पहुँच के जो दावे किये हैं, वो ज़मीन पर कुछ बेहतर बदलाव ला सकें.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments